Best Motivational Poems In Hindi: बेहतरीन मोटिवेशनल कविताएँ

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Motivational Poems In Hindi: नमस्कार दोस्तों। हमारा जीवन और विचार विभिन्न स्थितियों से प्रभावित होते हैं। ऐसे में कभी-कभी, खराब निर्णय के कारण हमें कठिनाई का सामना करना पड़ता है।

कुछ परिस्थितियों के परिणामस्वरूप, हमारे विचार निराशावादी हो सकते हैं और कई बार, हमारे विचार एक नकारात्मक मोड़ ले लेते हैं, जिसके कारण हमारे मन में निराशा की भावना पैदा होती है। ऐसे समय में हमें आत्म-नियंत्रण, आश्वासन और प्रेरणा की आवश्यकता होती है, जिससे हम अपने जीवन को पूर्णता से जी सकें और हमारे रास्ते में आने वाली किसी भी बाधा को दूर कर सकें।

आज के इस पोस्ट में हम आपके साथ कुछ बेहतरीन मोटिवेशनल कविताएं (Best motivational poem hindi) शेयर कर रहे हैं जो आप को पसंद भी आएंगी और आपको जोश से भर देंगी।

Motivational Poems In Hindi

वीर – रामधारी सिंह दिनकर (Short motivational poem in hindi)



सच है, विपत्ति जब आती है,
कायर को ही दहलाती है,
सूरमा नहीं विचलित होते,
क्षण एक नहीं धीरज खोते,
विघ्नों को गले लगाते हैं,
काँटों में राह बनाते हैं।

मुहँ से न कभी उफ़ कहते हैं,
संकट का चरण न गहते हैं,
जो आ पड़ता सब सहते हैं,
उद्योग-निरत नित रहते हैं,
शुलों का मूळ नसाते हैं,
बढ़ खुद विपत्ति पर छाते हैं।

है कौन विघ्न ऐसा जग में,
टिक सके आदमी के मग में?
ख़म ठोंक ठेलता है जब नर
पर्वत के जाते पाव उखड़,
मानव जब जोर लगाता है,
पत्थर पानी बन जाता है।

गुन बड़े एक से एक प्रखर,
हैं छिपे मानवों के भितर,
मेंहदी में जैसी लाली हो,
वर्तिका-बीच उजियाली हो,
बत्ती जो नहीं जलाता है,
रोशनी नहीं वह पाता है।



बढ़े चलो बढ़े चलो – सोहनलाल द्विवेदी (Famous inspirational poems in hindi)


न हाथ एक शस्त्र हो
न हाथ एक अस्त्र हो
न अन्न वीर वस्त्र हो
हटो नहीं, डरो नहीं, बढ़े चलो, बढ़े चलो।।

रहे समक्ष हिम-शिखर
तुम्हारा प्रण उठे निखर
भले ही जाए जन बिखर
रुको नहीं, झुको नहीं, बढ़े चलो, बढ़े चलो।।

घटा घिरी अटूट हो
अधर में कालकूट हो
वही सुधा का घूंट हो
जिये चलो, मरे चलो, बढ़े चलो, बढ़े चलो।।

गगन उगलता आग हो
छिड़ा मरण का राग हो
लहू का अपने फाग हो
अड़ो वहीं, गड़ो वहीं, बढ़े चलो, बढ़े चलो।।

चलो नई मिसाल हो
जलो नई मिसाल हो
बढो़ नया कमाल हो
झुको नहीं, रूको नहीं, बढ़े चलो, बढ़े चलो।।

अशेष रक्त तोल दो
स्वतंत्रता का मोल दो
कड़ी युगों की खोल दो
डरो नहीं, मरो नहीं, बढ़े चलो, बढ़े चलो।।



रुके न तू – प्रसून जोशी (Motivational kavita in hindi)



धरा हिला, गगन गुंजा
नदी बहा, पवन चला।

विजय तेरी, विजय तेरी
ज्योति सी जल, जला।

भुजा-भुजा, फड़क-फड़क
रक्त में धड़क-धड़क।

धनुष उठा, प्रहार कर
तू सबसे पहला वार कर।

अग्नि सी धधक-धधक
हिरन सी सजग-सजग।

सिंह सी दहाड़ कर
शंख सी पुकार कर।

रुके न तू, थके न तू
झुके न तू, थमे न तू।

सदा चले, थके न तू
रुके न तू, झुके न तू।


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नर हो, न निराश करो मन को – मैथिलीशरण गुप्त (Best motivational kavita in hindi)

नर हो, न निराश करो मन को

कुछ काम करो, कुछ काम करो
जग में रह कर कुछ नाम करो
यह जन्म हुआ किस अर्थ अहो
समझो जिसमें यह व्यर्थ न हो
कुछ तो उपयुक्त करो तन को
नर हो, न निराश करो मन को।

संभलो कि सुयोग न जाय चला
कब व्यर्थ हुआ सदुपाय भला
समझो जग को न निरा सपना
पथ आप प्रशस्त करो अपना
अखिलेश्वर है अवलंबन को
नर हो, न निराश करो मन को।

जब प्राप्त तुम्हें सब तत्त्व यहाँ
फिर जा सकता वह सत्त्व कहाँ
तुम स्वत्त्व सुधा रस पान करो
उठके अमरत्व विधान करो
दवरूप रहो भव कानन को
नर हो न निराश करो मन को।

निज गौरव का नित ज्ञान रहे
हम भी कुछ हैं यह ध्यान रहे
मरणोंत्‍तर गुंजित गान रहे
सब जाय अभी पर मान रहे
कुछ हो न तजो निज साधन को
नर हो, न निराश करो मन को।

प्रभु ने तुमको कर दान किए
सब वांछित वस्तु विधान किए
तुम प्राप्‍त करो उनको न अहो
फिर है यह किसका दोष कहो
समझो न अलभ्य किसी धन को
नर हो, न निराश करो मन को।

किस गौरव के तुम योग्य नहीं
कब कौन तुम्हें सुख भोग्य नहीं
जन हो तुम भी जगदीश्वर के
सब है जिसके अपने घर के
फिर दुर्लभ क्या उसके जन को
नर हो, न निराश करो मन को।

करके विधि वाद न खेद करो
निज लक्ष्य निरन्तर भेद करो
बनता बस उद्‌यम ही विधि है
मिलती जिससे सुख की निधि है
समझो धिक् निष्क्रिय जीवन को
नर हो, न निराश करो मन को
कुछ काम करो, कुछ काम करो।



चलना हमारा काम है – शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ (Best motivational poems in hindi)


गति प्रबल पैरों में भरी
फिर क्यों रहूं दर दर खडा
जब आज मेरे सामने
है रास्ता इतना पडा
जब तक न मंजिल पा सकूँ,
तब तक मुझे न विराम है,
चलना हमारा काम है।

कुछ कह लिया, कुछ सुन लिया
कुछ बोझ अपना बँट गया
अच्छा हुआ, तुम मिल गई
कुछ रास्ता ही कट गया
क्या राह में परिचय कहूँ,
राही हमारा नाम है,
चलना हमारा काम है।

जीवन अपूर्ण लिए हुए
पाता कभी खोता कभी
आशा निराशा से घिरा,
हँसता कभी रोता कभी
गति-मति न हो अवरूद्ध,
इसका ध्यान आठो याम है,
चलना हमारा काम है।

इस विशद विश्व-प्रहार में
किसको नहीं बहना पडा
सुख-दुख हमारी ही तरह,
किसको नहीं सहना पडा
फिर व्यर्थ क्यों कहता फिरूँ,
मुझ पर विधाता वाम है,
चलना हमारा काम है।

मैं पूर्णता की खोज में
दर-दर भटकता ही रहा
प्रत्येक पग पर कुछ न कुछ
रोडा अटकता ही रहा
निराशा क्यों मुझे?
जीवन इसी का नाम है,
चलना हमारा काम है।

साथ में चलते रहे
कुछ बीच ही से फिर गए
गति न जीवन की रूकी
जो गिर गए सो गिर गए
रहे हर दम,
उसी की सफलता अभिराम है,
चलना हमारा काम है।

फकत यह जानता
जो मिट गया वह जी गया
मूंदकर पलकें सहज
दो घूँट हँसकर पी गया
सुधा-मिक्ष्रित गरल,
वह साकिया का जाम है,
चलना हमारा काम है।



कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती – सोहन लाल द्विवेदी (Motivational poems in hindi)


लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।

नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चढ़ती है
चढ़ती दीवारों पर सौ बार फ़िसलती है।

मन का विश्वास रगों में साहस भरता है
चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है।

मेहनत उसकी बेकार नहीं हर बार होती
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।

डुबकियाँ सिंधु में गोताखोर लगाता है
जा-जा कर खाली हाथ लौट कर आता है।

मिलते न सहज ही मोती गहरे पानी में
बढ़ता दूना विश्वास इसी हैरानी में
मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।

असफ़लता एक चुनौती है, स्वीकार करो
क्या कमी रह गई देखो और सुधार करो,

जब तक न सफल हो, नींद-चैन को त्यागो तुम
संघर्षों का मैदान छोड़ मत भागो तुम
कुछ किये बिना ही जय-जयकार नहीं होती
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।



मैं तूफ़ानों मे चलने का आदी हूं – गोपालदास नीरज (Motivational poems in hindi)


मैं तूफ़ानों मे चलने का आदी हूं
तुम मत मेरी मंजिल आसान करो।

हैं फ़ूल रोकते, काटें मुझे चलाते
मरुस्थल, पहाड़ चलने की चाह बढाते
सच कहता हूं जब मुश्किलें ना होती हैं।

मेरे पग तब चलने में भी शर्माते
मेरे संग चलने लगे हवायें जिससे
तुम पथ के कण-कण को तूफ़ान करो।

अंगार अधर पे धर मैं मुस्काया हूं
मैं मर्घट से ज़िन्दगी बुला के लाया हूं।
हूं आंख-मिचौनी खेल चला किस्मत से
सौ बार मृत्यु के गले चूम आया हूं।
है नहीं स्वीकार दया अपनी भी
तुम मत मुझपर कोई एहसान करो।

मैं तूफ़ानों मे चलने का आदी हूं
तुम मत मेरी मंजिल आसान करो।

शर्म के जल से राह सदा सिंचती है
गति की मशाल आंधी में ही हंसती है।
शोलो से ही श्रिंगार पथिक का होता है
मंजिल की मांग लहू से ही सजती है।
पग में गति आती है, छाले छिलने से
तुम पग-पग पर जलती चट्टान धरो।

मैं तूफ़ानों मे चलने का आदी हूं
तुम मत मेरी मंजिल आसान करो।

फूलों से जग आसान नहीं होता है
रुकने से पग गतिवान नहीं होता है।
अवरोध नहीं तो संभव नहीं प्रगति भी
है नाश जहां निर्मम वहीं होता है।
मैं बसा सुकून नव-स्वर्ग “धरा” पर जिससे
तुम मेरी हर बस्ती वीरान करो।

मैं तूफ़ानों मे चलने का आदी हूं
तुम मत मेरी मंजिल आसान करो।

मैं पन्थी तूफ़ानों मे राह बनाता
मेरा दुनिया से केवल इतना नाता।
वेह मुझे रोकती है अवरोध बिछाकर
मैं ठोकर उसे लगाकर बढ्ता जाता।
मैं ठुकरा सकूं तुम्हें भी हंसकर जिससे
तुम मेरा मन-मानस पाषाण करो।

मैं तूफ़ानों मे चलने का आदी हूं
तुम मत मेरी मंजिल आसान करो।


Motivational Poem in Hindi: दोस्तों, आज की पोस्ट में आपने मोटिवेशन कविताएँ पढ़ी। जो लोगों को जीवन के प्रति बेहतर और उत्साहित महसूस करने में मदद करती हैं। कभी-कभी जब लोग हार मान लेते हैं, तो उन्हें चलते रहने के लिए अतिरिक्त प्रोत्साहन की आवश्यकता होती है। हमारी कविताएँ इसमें उनकी मदद कर सकती हैं।

Image credit:- Canva


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