Motivation Story | जिम्मेदारी का एहसास

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इस Motivation story का नाम है “जिम्मेदारी का एहसास” है। यह motivation story short तीन भाइयों की नई कहानी है। यह कहानी बच्चों और बड़ों दोनों को (Hindi motivational story for kids) सीख देने वाली है, क्योंकि यह कहानी आपको अपनी जिम्मेदारी का एहसास कराएगी।

एक बुढ़िया थी। उसके तीन बेटे थे। तीनों में बहुत प्रेम था। बुढ़िया इस बात से बहुत संतुष्ट थी लेकिन उसे एक बात की बड़ी चिंता रहती थी।

वास्तव में उसका बड़ा बेटा तो बहुत ज़िम्मेदार और मेहनती था। हर काम में माँ का हाथ बँटाता था लेकिन दोनों छोटे बेटे बहुत आलसी थे। हर काम से टलते थे। घर की कोई ज़िम्मेदारी नहीं निभाते थे। खेत का सारा काम उसका बड़ा बेटा संभालता था और घर का सारा काम बेचारी बुढ़िया को करना पड़ता था।

बड़े बेटे से उसकी हालत देखी नहीं जाती थी लेकिन कर भी क्या सकता था। फिर एक दिन उसने अपनी माँ को तीर्थ यात्रा पर जाने के लिए कहा। बुढ़िया ने मना कर दिया क्योंकि उसे डर था कि सारा काम उसका बड़ा बेटा कैसे संभालेगा लेकिन अपने बेटे के बार बार समझाने पर वह मना नहीं कर पाई और यात्रा पर जाने के लिए तैयार हो गई। बेटे को थोड़ा सुकून मिला कि कम से कम माँ को थोड़ी राहत तो मिलेगी।

अपनी माँ के चले जाने के बाद बड़े बेटे ने थोड़ा और जल्दी उठना शुरू कर दिया। वो पहले घर का काम करता, तीनों के लिए खाना बनाता, फिर खेत में जाता। उसे अपने छोटे भाइयों से बड़ा स्नेह था इसीलिए उनका काम न करना उसे अखरता नहीं था। माँ की तरह ही उनकी जरूरतों का ध्यान रखता। इसी कारण उन्हें माँ की कमी महसूस ही नहीं हुई।

दो-चार दिन तो सब ठीक चलता रहा लेकिन फिर एक दिन अचानक बड़े भाई की तबीयत खराब हो गई। उसे तेज़ बुखार हो गया था। वह बिस्तर से भी नहीं उठ पा रहा था। उसकी हालत देखकर दोनों भाई घबरा गए। वो गैर ज़िम्मेदार जरूर थे लेकिन अपने बड़े भाई से बहुत प्रेम करते थे।

दोनों भाई अपने बड़े भाई से पूछ पूछकर सब काम करने की कोशिश कर रहे थे और इसके साथ-साथ अपने भाई का भी ख्याल रख रहे थे क्योंकि ये जो लगाव होता है ना, ये सब करवा लेता है।

बड़े भाई को ठीक होने में हफ्ते भर का समय लगा लेकिन इस एक हफ्ते में बहुत कुछ बदल गया था। अब दोनों छोटे भाइयों को ये बात अच्छी तरह समझ में आ गई थी कि माँ और बड़े भैया कितना काम करते हैं। दोनों को अपनी गलती का अहसास हो चुका था। अब उनको काम करना अच्छा लगने लगा था।

कुछ दिनों बाद जब माँ तीर्थ यात्रा से लौटी तो उनके अंदर आए बदलाव को देखकर बहुत ख़ुश हुई। बड़े बेटे से पूछा तो उसने सारी बात बताई। उसने कहा- “माँ जो होता है, अच्छे के लिए होता है। अगर मैं बीमार ना होता तो मेरे दोनों छोटे भाई ज़िम्मेदार ना बनते।” ऐसा कहकर अपने दोनों भाइयों को गले से लगा लेता है।

शिक्षा:- हमें कभी आलस नहीं करना चाहिए और घर के छोटे छोटे कामों में हाथ बंटाना चाहिए। कम से कम अपना काम तो खुद ही करना चाहिए।


दोस्तों, आपको short motivation story in hindi कैसी लगी, कमेंट करके हमे जरूर बताए। दोस्तों, कभी कभी हालात ऐसे हो जाते है कि हालत इंसान को अंदर तक बदल देता है, जैसे इन दोनों छोटे भाइयों को बदल दिया और उन्हें अपनी जिम्मेदारी का एहसास हो गया। अगर आपको यह कहानी अच्छी लगी हो तो इस कहानी को facebook, whatsapp पर शेयर कर दें। ऐसी ही और motivation story hindi पढ़ने के लिए shayaribell को follow करना न भूलें।
धन्यवाद!

Story in hindi written by:- Minakshi Kundu
Image credit:- canva.com


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