Nature poem in hindi | अब मान जाओ प्रकृति रानी

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Nature poem in hindi में आप पढ़ने जा रहे है प्रकृति पर कविता “अब मान जाओ प्रकृति रानी” ये कविता प्रकृति रानी ( prakriti in hindi poem ) को मनाने के लिए लिखी गई है।

बहुत हो गई थी मनमानी
सिखाऊं सबक प्रकृति ने ठानी
समझे नहीं ईश्वर के इशारे
हम करते रहे क्यूँ आनाकानी

अब हमें मिला लम्बा अवकाश
नीला नीला हो गया आकाश
वातावरण भी हुआ है प्यारा
चाँद भी लगता न्यारा न्यारा

कोयल की कुहू कुहू सुहाती
चीं चीं चीं चीं चिड़िया गाती
नदियों का हो गया निर्मल पानी
प्रकृति की कद्र है जानी

ओजोन के भी ज़ख्म भरे हैं
जब से हम घरों में रुके है

खूब पेड़ लगाएंगे
नहीं तुम्हें सताएंगे

हमने अपनी गलती मानी
नहीं करेंगे अब मनमानी
मान जाओ प्रकृति रानी
बेहतर कर दो अब ज़िंदगानी
बेहतर कर दो अब ज़िंदगानी!


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दोस्तों, आपको यह hindi kavita on nature कैसी लगी हमें जरूर बताएं। ऐसे ही और प्रकृति पर कविता, hindi mein kavita पढ़ने के लिए shayaribell.com को follow जरूर करें।  
धन्यवाद!

Written by:- Minakshi Kundu
Image credit:- Canva.com


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