मुहावरों की कहानियाँ — Story on Muhavare in Hindi
Story on Muhavare in Hindi: आज के लेख में हम आपके साथ बहुत ही रोचक कहानियाँ शेयर करने जा रहें है। यह हिंदी कहानियाँ हिंदी मुहावरों पर बनाई गई है। साथ ही इन कहानियों से आपको शिक्षा (moral story in hindi) भी मिलेगी।
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Story on Muhavare in Hindi
घमंडी का सिर नीचा –Moral of the story in hindi
एक जंगल में बाँस का पेड़ और एक जामुन का पेड़ पास-पास थे। जामुन का पेड़ बाँस के पेड़ की अपेक्षा बहुत मजबूत था। बाँस का पेड़ बहुत पतला होने के साथ-साथ बहुत लचीला भी था। हवा का रुख जिस ओर होता बाँस का पेड़ उसी दिशा में झुक जाता था।
एक बार जामुन के पेड़ ने बाँस के पेड़ का उपहास करते हुए कहा―‛तुम तो हवा की आज्ञा का हमेशा ही पालन करते हो। हवा की गति और दिशा के अनुसार ही हमेशा हिलते-डुलते हो। मेरी तरह शान से सीधे क्यों नहीं खड़े होत? तुम भी हवा से कह दो कि उसकी आज्ञा का पालन नहीं कर सकते। तुम अपनी शक्ति का परिचय हवा को दो। इस संसार में बलवानों का ही चारों ओर बोलबाला है।’
बाँस के पेड़ को जामुन के पेड़ की बातें अच्छी नहीं लगीं लेकिन बाँस का पेड़ कुछ भी नहीं बोला और चुपचाप खड़ा रहा। यह देखकर जामुन का पेड़ क्रोधितहोकर बोला―‘तुम मेरी बात का उत्तर क्यों नहीं देते?’
बाँस के पेड़ ने कहा―‘तुम मेरी अपेक्षा मजबूत हो। मैं बहुत कमजोर हूँ। लेकिन मैं तुम्हे एक सलाह देता हूँ कि तेज हवा तुम्हारे लिए भी नुकसानदेह सिद्ध हो सकती है। यदि हवा की गति तेज हो तो हमें उसका सम्मान करना चाहिए। वरना कभी-कभी पछताना पड़ सकता है।’
जामुन के पेड़ को अपनी शक्ति पर बहुत घमंड था। वह बाँस के पेड़ से क्रोधित होकर बोला―‘तेज हवा भी मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकती। मेरी इस बात को हमेशा याद रखना।’
धीरे-धीरे चलती हुई हवा ने बाँस के पेड़ और जामुन के पेड़ के बीच होने वाली सभी बातों को सुन लिया। हवा तेज गति से जामुन के पेड़ से टकराकर आगे निकल गई। थोड़ी देर बाद हवा ने अपने अन्दर कुछ शक्ति और समेटी और अपने को और भी गतिशील बना लिया। अब हवा एक तूफान के रूप में परिवर्तित हो गई। उस तेज हवा के टकराने से बाँस का पेड़ लगभग पूरा झुक गया। वही हवा अब जामुन के पेड़ से दोबारा जाकर टकरा गई लेकिन जामुन के पेड़ पर उस तेज हवा का कोई भी असर नहीं हुआ। वह उसी प्रकार पूर्ववत् खड़ा रहा।
कुछ देर बाद तूफानी हवा ने जामुन के पेड़ कीजड़ों पर जोर से प्रहार करके उन्हें कमजोर कर दिया। तूफानी हवाओं को जामुन के पेड़ की शाखाओं ने रोकने की भरपूर कोशिश की, लेकिन तेज हवाओं ने जामुन के पेड़ की शाखाओं को पीछे धकेल दिया। तेज हवाओं के कारण जामुन के पेड़ का संतुलन खो गया और जड़ों ने कमजोर होकर अपना स्थान छोड़ दिया। कुछ ही देर में वह जामुन का पेड़ जमीन पर गिर पड़ा।
जामुन के पेड़ को धराशायी देखकर बाँस का पेड़ बहुत दुःखी हुआ। बाँस का पेड़ सोचने लगा―‘यदि जामुन के पेड़ ने मेरी बात मानकर हवा का सम्मान किया होता तो आज उसका अंत नहीं होता। यह जामुन का पेड़ तो घमंडी था। शायद इसे नहीं मालूम था कि घमंडी का सिर हमेशा नीचा ही होता है।’
शिक्षा:- इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि घमंड ही मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है। घमंडी व्यक्ति का सर्वनाश हो जाता है। इसलिए मनुष्य को कभी घमंड नहीं करना चाहिए।
जैसे को तैसा — Story in hindi with moral
लोमड़ी के कारनामों से भरपूर हमने अनेक कहानियाँ पढ़ी हैं। लोमड़ी हमेशा कुछ- न – कुछ बुरा ही करने की सोचती है। एक बार लोमड़ी ने सारस को अपने घर भोज जा निमंत्रण दिया। सारस ने ख़ुशी-ख़ुशी लोमड़ी का निमंत्रण स्वीकार कर लिया। सारस ने मन-ही-मन एक विशेष प्रकार के भोज के सपने देखने आरम्भ कर दिए। सारस सोच रहा था कि लोमड़ी सचमुच स्वादिष्ट भोजन उसके सामने परोसेगी। सारस का विचार था कि शीघ्र ही उसे स्वादिष्ट मछलियाँ और केकड़े खाने को मिलेंगे।
आखिर वह दिन आ ही गया जब सारस भोज के लिए लोमड़ी के घर गया। सारस को देखते ही लोमड़ी ने मुस्कुराते हुए कहा―’आओ मित्र, सारस! यहाँ पधारने के लिए तुम्हारा बहुत-बहुत शुक्रिया।’
इसके बाद सारस को लोमड़ी एक चौड़े- उथले बर्तन के पास ले गई, जिसमें बहुत स्वादिष्ट सूप भरा हुआ था।सूप को देखते ही सारस के मुख में पानी आ गया और उसने थोड़ा-सा सूप अपनी चोंच में भर लिया। फिर सारस ने चोंच को ऊपर करके सूप को गले से नीचे उतार लिया। तभी लोमड़ी ने भी सूप पीना शुरू कर दिया और सारा सूप समाप्त कर डाला। बेचारे सारस को थोड़ा-सा ही सूप नसीब हुआ।
लोमड़ी ने सारस को अपना रुमाल दिया ताकि वह अपनी चोंच साफ़ कर सके। लोमड़ी ने कहा―’मित्र सारस , तुम्हें भोज का भरपूर आनंद मिला होगा। मुझे आशा है कि तुम्हें सूप अवश्य ही अच्छा लगा होगा।’
लोमड़ी की बातें सुनकर सारस को बहुत गुस्सा आया। सारस स्वयं को अपमानित महसूस कर रहा था। सारस जैसे ही लोमड़ी से विदा लेकर बाहर आया। तभी चतुर लोमड़ी सारस का उपहास करते हुए जोर-जोर से हँसने लगी।
अपमानित होकर सारस ने लोमड़ी से बदला लेने का निश्चय कर लिया। सारस ने निश्चय किया कि वह भी लोमड़ी को भोज के लिए निमंत्रित करके उसके साथ वैसा ही व्यवहार करेगा।
सारस ने लोमड़ी के प्रति अपना क्रोध अपने मन में छिपा कर रखा। कुछ दिन बाद लोमड़ी से बोला―’बहन लोमड़ी, तुम्हारे स्वादिष्ट भोज के लिए तुम्हारा बहुत-बहुत धन्यवाद। रविवार रात को तुम्हारी मेरे घर दावत है। मैं तुम्हें भोज के लिए निमंत्रित करता हूँ। ठीक समय पर पधारने को कष्ट करना।’
लोमड़ी ने सारस का निमंत्रण ख़ुशी-ख़ुशी स्वीकार कर लिया और निश्चित समय पर सारस के घर पहुँच गई। सारस ने लोमड़ी का स्वागत करते हुए कहा―’ आओ बहन, जल्दी चलो, भोज का आनंद उठाएँ।’ लोमड़ी बोली―’मुझे तो स्वादिष्ट मछलियाँ और केकड़े की खुशबू आ रही है। मैं अब प्रतीक्षा नहीं कर सकती।’
सारस लोमड़ी को एक सुराहीनुमा लम्बे बर्तन के पास ले गया जिसमें केकड़े और स्वादिष्ट मछलियाँ भरी हुई थीं। सारस ने सुराहीनुमा बर्तन में अपनी चोंच डाली और एक केकड़ा अपनी चोंच में फँसाकर आनंद से खाने लगा। इसके बाद सारस एक ओर खड़ा हो गया और लोमड़ी से भोजन करने के लिए कहा।
लोमड़ी ने सुराहीनुमा बर्तन में अपना सिर घुसाने की बहुत कोशिश की लेकिन बर्तन का मुँह इतना पतला था कि लोमड़ी सफल न हो सकी। सारस ने पेट भरकर भोजन खाया और बेचारी लोमड़ी देखती ही रह गई। लोमड़ी गुस्से से पैर पटकती हुई अपने घर चली गई।
सारस ने लोमड़ी का उपहास करते हुए कहा―’ लोमड़ी बहन, यह तो जैसे को तैसा था।’ इतना कहकर सारस जोर-जोर से हँसने लगा।
शिक्षा:- इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमारे साथ जो जैसा व्यवहार करता है, हमें भी उसके साथ वैसा ही व्यवहार करना चाहिए।
जो कुआँ खोदता है वही गिरता है — Moral hindi story
एक बादशाह के महल की चारदीवारी के अन्दर एक वजीर और एक कारिंदा रहता था। वजीर और कारिंदे के पुत्र में गहरी दोस्ती थी। हम उम्र होने के कारण दोनों एक साथ पढ़ते, खेलते थे। वजीर के कहने पर कारिंदे का लड़का उसके सब काम कर देता था। वह वजीर को चाचा कहकर पुकारता था।
बादशाह कारिंदे के पुत्र को बहुत प्रेम करता था। बादशाह के कोई संतान नहीं थी। इसलिए वे कारिंदे के पुत्र को अपने पुत्र के समान ही समझते थे। बादशाह ने उसे महल और दरबार में आने-जाने की पूरी छूट दे रखी थी। कारिंदे के पुत्र के प्रति बादशाह का प्रेम देखकर वजीर को बहुत ईर्ष्या होती थी। वजीर चाहता था कि बादशाह केवल उसके पुत्र को ही प्रेम करें। यदि बादशाह ने उसके पुत्र को गोद ले लिया तो बादशाह की मृत्यु के बाद उसका पुत्र ही राजगद्दी पर बैठेगा।
वजीर की इच्छा के विपरीत बादशाह का प्रेम कारिंदे के पुत्र के प्रति बढ़ता ही गया। बादशाह वजीर के पुत्र को जरा भी पसंद नहीं करते थे। इसलिए वजीर कारिंदे और उसके पुत्र से मन-ही-मन ईर्ष्या करने लगा।
वजीर ने कारिंदे के पुत्र को मारने का निश्चय किया। वजीर ने कारिंदे के पुत्र को रुमाल और पैसे देकर गोश्त लाने के लिए कहा। वजीर ने कारिंदे के पुत्र को अच्छी तरह समझाया कि गोश्त बाजार में गली के नुक्कड़ वाली दुकान से ही लाना। कारिंदे का बेटा रुमाल और पैसे लेकर बाजार की ओर चल दिया।
उसने देखा कि उसका मित्र वजीर का बेटा भी वहाँ पर खेल रहा है। वजीर के लड़के ने कारिंदे के पुत्र से कहा कि तुम मेरा दांव खेलो, मैं जाकर गोश्त ले आऊँगा। कारिंदे के पुत्र ने उसे पैसे और रुमाल देकर दुकान का पता बता दिया। इस प्रकार वजीर का पुत्र गोश्त लेने चला गया और कारिंदे का पुत्र दांव खेलने लगा। वजीर के पुत्र ने दुकानदार को पैसे और रुमाल देकर कहा कि इसमें गोश्त बाँध दो।
कसाई ने रुमाल में बने हुए निशान को पहचान लिया। इस रुमाल को वजीर ने कसाई को दिखाते हुए कहा था कि जो लड़का इस रुमाल को लेकर गोश्त लेने आए तुम उसे मौत के घाट उतार देना। कारिंदे के पुत्र को मारने के लिए वजीर ने कसाई को पैसे भी दिए थे। कसाई ने अन्दर भट्ठी जलाकर सारी तैयारी पहले ही कर ली थी।
कसाई ने रुमाल और पैसे लेकर उस लड़के को वहाँ बैठने के लिए कहा और स्वयं अन्दर गोश्त लेने चला गया। तभी कसाई वापिस आया। कसाई ने तुरंत उस लड़के को उठाकर जलती हुई भट्ठी में झोंक दिया। कारिंदे का पुत्र अपना दांव खेलकर अपने घर जा रहा था कि उसे रास्ते में वजीर मिल गया।
कारिंदे के पुत्र ने पूछा―‘चाचा, भैया गोश्त ले आया?’ इतना सुनकर वजीर के पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई। तभी कारिंदे के पुत्र ने कहा ―’चाचा भैया ने मुझसे रुमाल और पैसे ले लिए थे और कहा कि तुम मेरा दांव खेल लो, मैं गोश्त लेकर घर चला जाऊँगा। मैंने भैया को दुकान का पता भी बता दिया था।’ वजीर की आँखों के आगे अँधेरा छा गया और उसके मुख से एक शब्द भी नहीं निकला। अपने पुत्र को याद करता हुआ वजीर अपने घर चला गया। वजीर कह रहा था कि जो दूसरों के लिए कुआँ खोदता है उसमें स्वयं गिरता है।
शिक्षा:- इस कहानी से हमें यही शिक्षा मिलती है कि हमें कभी किसी का बुरा नहीं करना चाहिए।
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