Funny story in hindi| धोबी और जादुई गधा ढेंचू

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मजेदार कहानी हिंदी में (Funny story in hindi) हम बच्चों के लिए एक कहानी लेकर आए है। ये funny story for kids बच्चों के साथ बड़ों को भी पसंद आएगी।


बहुत साल पहले डमरु नगर गांव में सखाराम नाम का एक धोबी रहता था। वह बड़ा ही मेहनती था। गांव के लोगों के कपड़े धोता और पैसे कमाता था। उसके पास ढेंचू नाम का एक गधा था, जो बड़ा ही आलसी था जब उसका मन अपनी पीठ पर कपड़ों का बोझ लादकर नदी पर जाने का नहीं होता, तो वह कहीं ना कहीं भाग जाता था।

सखाराम बड़ा परेशान होता क्योंकि उसे कपड़े धोने के लिए नदी पर ही जाना पड़ता था नदी उसके घर से दूर थी उसे कपड़े उठाकर जाने में बड़ी तकलीफ होती थी।

वह अपने गधे ढेंचू को प्यार से भी समझाता मारकर भी समझा था लेकिन ढेंचू ने तो जैसे कसम खा रखी थी कि उसे कुछ भी नहीं सुनना बस चारा खाता और सोता। काम करने का तो उसका दिल ही नहीं करता था।

ढेंचू सखाराम के पिता के समय से उसके घर में था। सखाराम उसे अपने भाई की तरह प्यार करता था। लेकिन वह ढेंचू के आलस से बहुत ही परेशान हो चुका था, एक बार तो  पूरे हफ्ते सखाराम को अपने सर पर कपड़ों का बोझ लेकर नदी तक जाना पड़ा। उस दिन सखाराम ने निश्चय कर लिया कि अब तो वह ढेंचू को बेच देगा और उन पैसों से दूसरा गधा लाएगा। जो उसकी काम में मदद करें।

सखाराम ने गांव के कई लोगों से यह बात कही कि वह अपने गधे ढेंचू को बेचना चाहता है लेकिन गांव के लोग यह जानते थे कि सखाराम का गधा कितना आलसी है। इसलिए गांव का कोई भी व्यक्ति उस आलसी गधे को खरीदने के लिए तैयार नहीं हुआ।

सखाराम ने आसपास के गांव के लोगों से भी इस बारे में कहा लेकिन ढेंचू के आलस की चर्चा सब जगह फैल चुकी थी। एक दिन सखाराम और ढेंचू को नदी से घर वापस आने में देर हो गई थी। रास्ते में उन्हें डाकू मिल गए डाकुओं ने सखाराम को पकड़ लिया और सखाराम से कहा तुम्हारे पास जो कुछ भी है वह सब हमें दे दो।

सखाराम ने कहा, “डाकू महाराज मैं तो एक गरीब धोबी हूं मेरे पास आपको क्या मिलेगा।”

डाकुओं ने कहा, “हमने तुम्हारी और तुम्हारे गधे की चर्चा सुनी हुई है गांव और आसपास के लोग तुम्हारी और तुम्हारे गधे के बारे में बातें करते हैं। तुम्हारे पास कुछ तो ऐसा होगा जिसकी वजह से सभी तुम्हारे बारे में बात करते हैं।”

अब सखाराम सोचने लगा, “अगर मैंने इन लोगों से यह कहा कि मेरा गधा आलसी है लोग इस वजह से चर्चा करते हैं तो इन्हें मेरी बात पर यकीन ना होगा और यह मुझे मार देंगे।”

फिर सखाराम ने कहा, “आप ने हमारी चर्चा किस बारे में सुनी है।” तभी एक डाकू बोला, “मूर्ख चर्चा तो बड़े लोगों की होती है बड़े साहूकारों की जिन के पास रुपये पैसे हो। गरीबों के बारे में बात कौन करता है।”

यह सुनकर सखाराम को एक उपाय सूझा उसने फिर उन डाकुओं से कहा, “डाकू महाराज लोग तो ऐसे ही बातें करते रहते हैं मैं तो एक गरीब धोबी हूं मेरे पास आपको क्या मिलेगा आप चाहे तो मेरी तलाशी ले सकते हैं।”

डाकुओं ने सखाराम की तलाशी ली लेकिन उसके पास तो सच में कुछ नहीं था तो उन डाकुओं को क्या मिलता। तभी एक डाकू ने सरदार से कहा, “इस के पास जो मूल्यवान चीज़ है इसने कहीं छुपा कर रखा है यह हर वक़्त उसे साथ में लेकर नहीं घूमता होगा।”

डाकुओं के सरदार ने सखाराम को ऊंची आवाज में कहा, “तुम सीधे-सीधे हमें बताते हो या हम तुम्हें मार दें।” सखाराम ने सरदार डाकू का पैर पकड़ लिया और कहा, “सरदार आप मुझे मत मारिए, मैं बताता हूं मेरे पास तो ले देकर सिर्फ एक यह जादुई गधा ही है लेकिन यह कोई ऐसा वैसा गधा नहीं है महाराज। अमावस्या की रात को ठीक 12 बजे आप नहा धोकर अपने भगवान को प्रणाम कर इस गधे की पूजा करें और फिर इस से जो चाहे वह मांग ले। यह गधा सब कुछ देता है।

डाकुओं के सरदार ने कहा, “तुम्हें यह गधा कहां से मिला?” सखाराम ने कहा, “यह गधा मुझे मेरे पिताजी ने दिया था।” डाकुओं के सरदार ने कहा, ठीक है अब से तुम्हारा यह गधा हमारा हो गया।

ये सुनकर तुरंत सखाराम ने कहा,”नहीं महाराज अगर आप यह गधा छीन कर ले जाएंगे या जबरदस्ती ले जाएंगे तो यह आपके किसी काम का नहीं होगा। आपको अपना सारा धन इस गधे के बदले में देना होगा तभी यह गधा आपको वरदान देगा, नहीं तो आपको कुछ भी नहीं मिलेगा।”

डाकू लालच में आ गए उन्होंने कहा, “ठीक है तुम यहीं रुको हम जाकर अपना सारा धन लेकर आते हैं।” ऐसा कहकर डाकू सखाराम को और उसके गधे ढेंचू को वहीं छोड़कर अपना सारा पैसा लेने चले जाते हैं।

सखाराम बड़ा खुश हो जाता है कि कहां तो वह इस ढेंचू को कम कीमत में भी बेचने को तैयार था। लेकिन अब उसे ढेंचू के बदले में बहुत सारा पैसा मिल जाएगा। वो ढेंचू से कहता है, “अब तुम्हें भी समझ आएगा जब यह डाकू तुम्हें ले जाएंगे और अमावस्या के दिन तुम उनकी इच्छा पूरी नहीं कर पाओगे, तो यह तुम्हें बहुत मारेंगे और मैं तो सारा धन लेकर शहर चला जाऊंगा।”

ढेंचू मन ही मन सोचता है, “यह कितना दुष्ट है ये मुझे इन दुष्ट डाकुओं के हाथ बेच कर इतना पैसा लेकर भाग जाने की बात कर रहा है।”

ढेंचू सोचता हैं और मन में बोलता है, “सखाराम तुझे तो मैं अभी भी नहीं छोडूंगा।” तभी डाकू अपना सारा लूटा  हुआ धन लेकर वापस आते हैं। और सखाराम से कहते हैं, “यह लो हम अपना सारा धन ले आए हैं अब तो इस गधे का वरदान हमारे लिए काम करेगा हम जो चाहेंगे यह हमें देगा?”

सखाराम बोलता है, “हां सरदार जरूर देगा” ऐसा बोलकर वह सारा धन लेता है और डाकुओं के सामने कहता है, “इसका ख्याल रखना मैं इसे अपने भाई की तरह मानता हूं और जाने से पहले इस के गले मिलना चाहता हूं।” डाकू भी सोचते हैं कि इस गधे ने सखाराम को बहुत कुछ दिया होगा। तभी आज सखाराम इसे छोड़कर जाने में इतना दुखी हो रहा है।

सखाराम गधे के गले लगता है और उसके कान में कहता है, “तूने मुझे जितना दुखी किया है अब उन सब दुखों का हिसाब तुझे पूरा करना पड़ेगा” जब सखाराम ढेंचू के गले लग कर उसके कान में यह बात कह रहा होता है। तो ढेंचू सखाराम के पैसे की पोटली में अपने दांत से छेद बना देता है और मन में सोचता है मेरे रहने से तु दुखी था अब मेरे जाने से तो, तू और भी दुखी होगा।

डाकू ढेंचू को अपने साथ लेकर चले जाते हैं। और सखाराम खुशी-खुशी अपने पैसे की पोटली को लेकर अपने घर की तरफ चल देता है। लेकिन जब तक सखाराम घर पहुंचता है उसके पैसे की पोटली से थोड़ा-थोड़ा करके सारा धन रास्ते में गिर गया होता है।

यह देखकर सखाराम जोर जोर से रोने लगता है और कहता है, “मेरी तो किस्मत ही खराब थी गधा मिला तो ऐसा कि मुझसे ही काम कराता था और पैसा मिला तो ऐसा कि घर तक भी नहीं आ पाया।”


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धन्यवाद!

Story in hindi written by:- Shubhi Gupta
Image credit:- canva.com


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