Top 10 Moral Stories in Hindi 2024 for Kids –नैतिक कहानियाँ

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Top 10 Moral Stories in Hindi: आज के इस लेख में हम आपके साथ short moral stories in hindi शेयर कर रहें है। आपने अपने बचपन में स्कूल में या दादा-दादी से ये कहानियाँ सुनी होगी। ये कहानियाँ बहुत ज्ञानवर्धक और शिक्षाप्रद हैं आप इन नैतिक हिंदी कहानियों (kids moral stories in hindi) से बहुत सी अच्छी बातें सीखेंगे। जिसका उपयोग आप अपने जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए कर सकते हैं।

Top 10 Moral Stories in Hindi – 10 नैतिक कहानियाँ हिंदी में

दोस्तों, आशा करती हूँ की आपको यह कहानियाँ बेहद पसंद आएगी। तो चलिए शुरू करते है आजका 10 नैतिक कहानियाँ हिंदी में।

प्यासा कौआ (Thirsty Crow) – Moral Stories For Kids

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एक समय की बात है। कड़कड़ाती धूप में एक प्यासा कौआ इधर उधर पानी की खोज में तड़प रहा था। अत्यधिक प्यास के कारण उसे ऐसा प्रतीत हो रहा था कि उसका अन्तिम समय आ गया है। तभी उसकी नजर पास के एक पेड़ के नीचे रखे घड़े पर पड़ी। उसे देखकर कौए के जान में जान आई।

वह उड़कर जब उसके पास पहुँचा तो उसने देखा कि घड़े में पानी बहुत कम था जिसकी वजह से वह अपनी चोंच से पानी तक पहुँच नही पा रहा था। कौए ने कई बार प्रयास किया पर हर बार वह असफल रहा। कौआ घड़े के पास थककर बैठ गया। तभी उसकी नजर पास पड़े कंकड़ों पर पड़ी। अब उसको एक तरकीब सूझी।

उसने विचार किया कि यदि वह एक एक करके कंकड़ों को घड़े में डालेगा तो पानी धीरे-धीरे ऊपर आ जायेगा और वह उसे पी कर अपनी प्यास बुझा लेगा। निरंतर प्रयास और कड़ी मेहनत करके वह इतने कंकड़ घड़े में डाल देता है कि पानी ऊपर आता है और वह उसे पीकर अपनी जान बचा लेता है।

कहानी की शिक्षा: इस कहानी से हमे यह शिक्षा मिलती है, कि मुसीबत के समय घबराना नहीं चाहिए। इसके बजाय, आपको सच्चे दिल से मेहनत करनी चाहिए। क्योंकि मेहनत करने वालों को ही सफलता मिलती है।


खरगोश और कछुआ (Rabbit and Tortoise) – Moral Based Stories in Hindi

short moral stories in hindi
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बहुत समय पहले की बात है एक जंगल में खरगोश और कछुआ दो दोस्त रहते थे। वे दोनो गहरे दोस्त थे परन्तु खरगोश को अपनी गति पर बहुत गर्व था और वह अक्सर कछुए को इस बात के लिए छेड़ता था कि कछुए की गति बहुत कम है।

एक दिन क्रोधित होकर कछुए ने खरगोश से कहा- “आइये, हम दोनो एक रेस करते है और देख ही लेते है कि किसकी गति ज्यादा है।” खरगोश कछुए की इस बात पर जोर से हँसा और बोला “तुम मुझसे जीत ही नही सकते, तुम्हारी चाल बहुत धीमी है। चलो रेस शुरू करते है।”

रेस शुरू हुई तो खरगोश लम्बे कदम रखकर दौड़ने लगा जबकि कछुआ धीमे- धीमे चलने लगा।

थोड़ी दूर तक दौड़ने के बाद खरगोश ने सोचा अब मैं काफी आगे आ गया हूँ क्यों न यहां पेड़ के नीचे थोड़ा आराम कर लूँ। आराम करते करते कब उसे नींद आ गयी उसे पता ही नही चला।

इधर, कछुआ धीरे-धीरे लगातार चलता रहता है और रास्ते में वह देखता है कि खरगोश सो रहा है। वह उसे जगाता नहीं और धीरे-धीरे निरंतर चलते हुए फिनिश लाइन पर पहुँच जाता है।

जब खरगोश की नींद खुलती है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। खरगोश तेजी से दौड़ता हुआ फिनिश लाइन की ओर जाता है। वहाँ पर कछुए को पहले से पहुँचा हुआ देखकर वह काफी शर्मिंदा होता है। वह काफी खेद महसूस करता है क्योंकि कछुआ खरगोश से जीत जाता है।

खरगोश की गति तेज थी लेकिन कछुए का निरंतर प्रयास और इच्छा शक्ति अधिक थी।

कहानी की शिक्षा: कछुआ और खरगोश की कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि कभी भी हार मत मानों, निरंतर प्रयास करते रहो भले ही आपकी गति धीमी हो।


लोमड़ी और अंगूर (The Fox and The Grapes) – Small Moral Stories in Hindi

kids moral stories in hindi
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एक भूखी लोमड़ी जंगल से होकर गुजर रही थी। रास्ते में अंगूर के लटकते हुए गुच्छों को देखकर लोमड़ी के मुँह में पानी आ गया। वह बोली, “ये अंगूर अवश्य ही मीठे और रसीले होंगे।”

लोमड़ी ने अंगूर पाने के लिए कई बार ऊँची छलांग लगाई, पर अंगूर उसके हाथ नहीं आए। वह सोच रही थी कि काश! अंगूरों की वेल थोड़ी नीचे होती तो वह आसानी से अंगूर तोड़ लेती या फिर उसका कोई दोस्त ही मिल जाता तो वह उसकी मदद से अंगूर तोड़ पाती।

उसने दूर-दूर तक नजर दौड़ाई, लेकिन कहीं कोई नजर नहीं आ रहा था। हमेशा पेड़ों पर ही उछल-कूद करने वाला बंदर भी कहीं नहीं दिख रहा था। लोमड़ी ने थोड़ा आराम करके फिर छलांग लगाई।

इस बार वह पहले से ज्यादा ऊँचा कूदी थी पर फिर भी अंगूर उसके हाथ नहीं लगे। वह बुरी तरह थक चुकी थी। हारकर उसने अंगूर तोड़ने का इरादा यह कहते हुए छोड़ दिया, “अंगूर खट्टे हैं। मैं खट्टे अंगूर नहीं खाती।”

कहानी की शिक्षा: लभ्य वस्तुओं का ही लालच करना ठीक है।



भेड़िया और सारस (The Wolf & the Crane Story) – Bedtime Story For Kids

Bedtime Story For Kids
Bedtime Story For Kids

एक दिन एक भेड़िया को जंगल में बैल का गोश्त पड़ा मिला। उसने ललचाकर जल्दी से गोश्त खाना शुरू कर दिया। हड्डी का एक टुकड़ा उसके गले में फंस गया। उसे साँस लेने तक में मुश्किल होने लगी। भेड़िया को याद आया कि पास ही एक सारस रहता है। भेड़िया सारस के पास गया उससे सहायता मांगने लगा। भेड़िया ने सारस को इनाम देने का भी वादा किया।

सारस को भी उस पर दया आ गई। वह भेड़िया की सहायता करने को तैयार हो गया। भेड़िए ने अपना मुहँ पूरा खोल दिया और सारस ने आसानी से उसके गले में फंसी हड्डी अपनी लंबी चोंच से बाहर निकाल दी। इसके बाद सारस ने भेड़िए को उसका वादा याद दिलाते हुए उससे अपना इनाम माँगा।

कैसा इनाम ? भेड़िया मुकर गया। जब तुमने अपनी चोंच मेरे मुहं में डाली थी, तब मैं चाहता तो तुम्हें तभी खा जाता। तुम्हें तो मेरा आभारी होना चाहिए की मैंने तुम्हें जिन्दा छोड़ दिया। सारस कोई जवाब देता, उसके पहले ही स्वार्थी भेड़िया वहां से भाग चूका था।

कहानी की शिक्षा: धूर्त लोगों से आभार की उम्मीद नहीं रखनी चाहिए।


शेर और चूहा (The Lion And The Mouse) – Bedtime Moral Story

small moral stories in hindi
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एक बार एक शेर गहरी नींद में सो रहा था कि तभी एक छोटा चूहा आया और शेर के ऊपर उछल-कूद करने लगा। उसने शेर को जगा दिया। शेर गुस्से में था और उसने अपने विशाल पंजे से चूहे को पकड़ लिया। फिर उसने उसे निगलने के लिए अपना बड़ा मुँह खोला।

“कृपया मुझे क्षमा करें, हे जंगल के राजा” छोटा चूहा रोया। “मैं आपकी दया को कभी नहीं भूलूंगा। मैं छोटा हो सकता हूं लेकिन कौन जानता है, किसी दिन मैं आपकी किसी तरह की मदद कर सकूं।”

शेर हँसा और दया करके चूहे को मुक्त कर दिया। कुछ दिनों बाद, शेर एक शिकारी के जाल में फंस गया। वह गर्जना लगा छोटे चूहे ने उसकी गर्जने की आवाज सुनी और शेर की ओर भागा। तुरंत चूहे ने अपने छोटे दांतों से जाल काटना शुरू कर दिया। जल्द ही शेर मुक्त हो गया और छोटे चूहे को धन्यवाद दिया। इसके बाद, वे दोस्त बन गए।

कहानी की शिक्षा: मित्र वही जो मुसीबत में काम आये।


एकता में बल (Unity is Strength) – kids Moral Stories in Hindi

the moral stories in hindi
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एक गांव में एक किसान रहता था। उसके चार पुत्र थे, सभी ईमानदार और मेहनती थी। बस एक समस्या यह थी कि उनकी आपस में बनती नही थी। सभी एक दूसरे से छोटी मोटी बातो पर लड़ते रहते थे। अपने पुत्रों के बीच होने वाली लड़ाई से किसान बहुत परेशान था। उसने कई बार इनको आपस में मिलाने की कोशिश की पर असफल रहा।

धीरे-धीरे किसान बूढ़ा हो चला, लेकिन उसके लड़को के बीच लड़ाई का सिलसिला वैसे ही चलता रहा। किसान ने अपने लड़को को मिलाने के लिए एक तरकीब बनाई। उसने अपने पुत्रों को एक साथ बुलाया।

पिता का अन्तिम समय देखते हुए चारो पुत्र एक साथ उसके पास पहुँचे।

सभी पुत्रों ने पिता से उन्हे बुलाने का कारण पूछाँ तो किसान बोला, “आज मैं तुम सब को एक काम देने जा रहा हूँ और मैं देखना चाहता हूँ कि कौन इस काम को भली भांति कर लेगा।”

किसान ने बड़े लड़के से कई सारी लकड़ियाँ लाने को बोला तथा छोटे लड़के से एक मजबूत रस्सी लाने को कहा। लड़के ईमानदार और मेहनती थे, पिता जी की आज्ञा मानते हुए वे लकड़ी और रस्सी लेने निकल जाते है।

जब बड़ा लड़का लकड़ियाँ लेकर आ जाता है तो किसान दूसरे बेटे से इनका गट्ठर बनाने को कहता है। तब तक छोटा लड़का रस्सी लेकर आ जाता है तो किसान तीसरे बेटे से उस गट्ठर को रस्सी से बाँध देने को कहता है। लड़का उनकी आज्ञा का पालन करता है।

बड़ा लड़का कहता है- पिता जी, अब हमें क्या करना है। इस पर किसान मुस्कराते हुए बोला- तुम सभी में से कौन इस गट्ठर को अपने बल से तोड़ सकता है।

तो एक-एक करके सभी लड़को ने कहा यह तो बहुत ही आसान काम है इसे तो मै चुटकी बजाते ही कर दूंगा।

फिर क्या था अपनी बात साबित करने के लिए वो आपस में झगड़ने लगे कि इसे मै ही तोड़ूगा। किसान बोला मैने तुम्हे यहाँ झगड़ने के लिए नहीं बुलाया है। तुम लोगो को बारी-बारी से मौका दिया जायेगा। सबसे पहले बड़े लड़के को मौका मिला।

उसने भरसक कोशिश की परन्तु वह लकड़ी के उस गट्ठर को तोड़ नहीं पाया। इसी तरह से अन्य लड़के भी उस गट्ठर को तोड़ नहीं पाते है।

छोटा लड़का बोला- पिता जी, यह काम तो असंभव है। किसान मुस्कराते हुए लकड़ी का गट्ठर खोलता है और लकड़ियाँ अलग-अलग कर देता है।

किसान कहता है- अब इन लकड़ियों को कौन तोड़ेगा। तो सभी उन अलग-अलग लकड़ियों को तोड़ लेते हैं।

किसान बोला- बच्चो आप चारो इन लकड़ियों की तरह हो, जब तक साथ रहोगे तो तुम्हे कोई नुकसान नहीं पहुँचा सकता है परन्तु यदि तुम अकेले अकेले लड़ते झगड़ते रहोगे तो इन अकेली लकड़ियों की तरह ही टूट जाओगे।

कहानी की शिक्षा: एकता में बल कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि एकता में बड़ी ताकत होती है। अगर हम मिल जुल कर एक साथ रहें तो कोई भी हमें नुकसान नहीं पहुँचा सकता है।


मुर्गी और सोने का अंडा (Golden Egg Hen) – Moral Story in Hindi

Short Story in Hindi
Short Story in Hindi

एक बार की बात है एक गांव में एक किसान रहता था, जिसके पास कई मुर्गियां और एक खेत था। मुर्गी कई अंडे देती थी। वह अंडे बेचता था और ईमानदारी से जीवन यापन करता था। किसान के पास एक लाल रंग की मुर्गी थी, लेकिन अभी उस मुर्गी ने अंडे देना शुरू नहीं किए थे। किसान को लगता थी कि वह मुर्गी कभी अंडे नहीं देगी। किसान को नहीं पता था कि क्या करना है। एक दिन किसान अंडे लेने के लिए मुर्गी खाने के गया, तभी किसान ने कुछ आश्चर्यजनक पाया। लाल मुर्गी ने एक पीला अंडा दिया था। एक पीला अंडा?

नहीं, यह एक सोने का अंडा है वाह, मैं सोने का अंडा बेचूंगा और इतना पैसा कमाऊंगा। लाल मुर्गी रोज सोने के अंडे देने लगी। किसान की खुशी का कोई ठिकाना नहीं था। इन सुनहरे अंडों को बेचकर किसान धीरे-धीरे अमीर होता गया। हा हा हा…. मैं एक भाग्यशाली आदमी हूं।

अब मेरे पास सब कुछ है। हा हा हा…. जल्द ही किसान ने अपने लिए एक आलीशान हवेली खरीदी थी। उसने हवेली को टीवी, अलमारी, फर्नीचर और ऐसी ही अन्य सुविधाओं से सुसज्जित किया। जैसे-जैसे समय बीतता गया, किसान अमीर होता गया। लेकिन उसका लालच बिना किसी सीमा के बढ़ता गया। अब वह सबसे अमीर आदमी बनने का सपना देखता है।

उससे लगने लगा एक दिन में एक सोने का अंडा उसे सबसे अमीर बनने में मदद नहीं करेगा। उस ने लाल मुर्गी के सारे सुनहरे अंडे एक साथ हथियाने के लिए। किसान ने लाल मुर्गी को नुकसान पहुंचाने का फैसला किया। अगले दिन जैसे ही वह उठा, किसान लाल मुर्गी की और भाग, आज मेरे सारे सपने सच होंगे। किसान ने बिना समय बर्बाद किए सोने के अंडे देने वाली लाल मुर्गी को नुकसान पहुंचाया। धत्तेरे की!

लाल मुर्गी के पेट में कुछ भी नहीं है। अपने लालच के कारण, उसने अपने प्रिय और वफादार लाल मुर्गी को मूर्खता से नुकसान पहुँचाया। जिसने उसे सारी समृद्धि और आराम दिया था। किसान बहुत दुखी था क्योंकि उसके लालच की कीमत उस सोने के अंडे देने वाली उसकी प्यारी लाल मुर्गी को मर कर चुकानी पड़ी थी।

कहानी की शिक्षा: अत्यधिक लालच हमेशा बड़ा नुकसान करता है।


स्वर्ग और नरक (Heaven and Hell) – The Moral Story in Hindi

Hindi Story for Kids
Hindi Story for Kids

एक बार, एक पवित्र व्यक्ति भगवान से मिला। वह हमेशा स्वर्ग और नरक के बारे में जानना चाहता था। इसीलिए जब वह भगवान से मिला, तो उसने भगवान से पूछा। “क्या आप मुझे बता सकते हैं, कि स्वर्ग और नरक क्या है?” भगवान मुस्कुराए और उसे दूसरी दुनिया में ले गए। वहां, वह दो दरवाजे के सामने खड़े थे।

भगवान ने उसे, प्रत्येक दरवाजे के अंदर जाकर देखने के लिए कहा। पवित्र व्यक्ति ने पहला दरवाजा खोला। वहां उन्होंने एक बड़ी गोल मेज को देखा, जिसके चारों ओर लोग बैठे थे। मेज के बीच एक बड़ा बर्तन मैं, स्वादिष्ट सूप रखा गया था। वहां बैठे प्रत्येक लोगों की हाथ में बहुत लंबे चम्मच थे। बीच में सूप के बर्तन तक पहुंचने के लिए चम्मच काफी लंबे थे।

लोग लंबे चम्मच के कारण, भोजन नहीं कर पा रहे थे। वहां के सभी लोग, बहुत पतले और बीमार दिख रहे थे। वहां लोग बहुत दुखी थे। लोगों को देखकर पवित्रा व्यक्ति डर गया। पवित्र व्यक्ति, उस कमरे से वापस आया और दूसरे कमरे का दरवाजा खोला। यह कमरा पहले कमरे जैसा ही था। यहां बड़ी गोल मेज मैं बैठे प्रत्येक लोगों के हाथ में लंबे चम्मच था।

लेकिन, यहां सभी लोग स्वस्थ और सेहतमंद थे। वह एक दूसरे से बातें कर रहे थे, और खाना खा रहे थे। पवित्र व्यक्ति, यह देख कर खुश हुआ और दरवाजे से बाहर आया। वह भगवान के पास गया और कहा, “मैं नहीं समझा! दोनों कमरे समान है। फिर भी एक कमरा दुख से भरा है और दूसरा खुशी से भरा है।”

भगवान ने समझाया, “आपने देखा कि लंबे चम्मच दूसरों को खिलाने के लिए पर्याप्त है। लेकिन, अपने आप को खिलाने के लिए पर्याप्त नहीं है। पहले जिस कमरे में आप गए थे, वह नरक था। वहां लोग केवल अपने बारे में सोचते हैं, दूसरों की मदद नहीं करना चाहते हैं। जिसके कारण वे खुद को खिलाने में सक्षम नहीं है।

और दूसरा कमरा स्वर्ग था। यह उन लोगों से भरा था, जो परवाह करते थे। वे एक दूसरे का समर्थन करते हैं और एक दूसरे को उन लंबे चम्मच से खिलाते हैं, जिससे वे खुश रहते हैं।

कहानी की शिक्षा: अगर हम एक दूसरे को समर्थन करना सीखते हैं। तो हम अपने जीवन को स्वर्ग बना सकते हैं।


दो दोस्त और भालू (Two Friends & The Bear) – Hindi Story with Moral

story for kids in hindi
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एक बार की बात है, दो दोस्तों को जंगल से होकर जाना था। यह कई जंगली जानवरों के साथ एक खतरनाक जंगल था। जंगल में शेर, भालू, सांप और यहां तक ​​कि जहरीली मकड़ियां भी थीं। जैसे ही दो दोस्त जंगल में दाखिल हुए, वे इस डर से जकड़े हुए थे कि आगे क्या होगा। मैं इतना भयभीत हूँ। काश हमें इस जंगल से न गुजरना पड़े। मैं आपसे सहमत हुँ। लेकिन हमारे पास कोई चारा नहीं है।

दूसरे गाँव में जाने के लिए हमें जंगल पार करना होगा। क्या होगा अगर हम मुसीबत में पड़ गए? आइए वादा करें कि अगर हम में से कोई एक मुसीबत में पड़ गया, तो दूसरा नहीं भागेगा। वह रहेगा और संकट में पड़े व्यक्ति की सहायता करेगा। हाँ, मैं तुमसे वादा करता हूँ, मेरे दोस्त, अगर तुम मुसीबत में हो तो मैं तुम्हें अकेला नहीं छोड़ूँगा। और मैं तुमसे वही वादा करता हूँ, मेरे दोस्त।

मुझे अब कम डर लग रहा है। मुझे लगता है कि अब मैं आसानी से जंगल पार कर सकता हूं। मैं खुश हूं। चलो चलते हैं कुछ देर जंगल में घूमने के बाद दोनों दोस्तों ने अपने आगे की झाड़ियों से सरसराहट की आवाज सुनी। वे अपने ट्रैक में रुक गए। आप क्या सोचते हैं की यह क्या है? श… मुझे नहीं पता। मैं स्पष्ट रूप से नहीं देख सकता, है ना?

तभी उनके सामने एक बड़ी, काली आकृति दिखाई दी। धत्तेरे की! यह एक जंगली भालू है! इसने हमें अभी तक नहीं देखा है, इसलिए भागो! तब लड़का एक ऊँचे पेड़ पर चढ़ गया और उसकी एक डाल पर बैठ गया। लेकिन उसका दोस्त पेड़ पर चढ़ना नहीं जानता था। मेरा दोस्त! मुझे नहीं पता कि पेड़ पर कैसे चढ़ना है। कृपया मुझे इस पर चढ़ने में मदद करें! लेकिन पेड़ पर बैठे लड़के ने उसकी मदद नहीं की।

उसने सिर हिलाया और पेड़ को कसकर पकड़ लिया। जमीन पर पड़े लड़के ने भालू को अपने पास आते देखा और फौरन मौके पर लेट गया। उसने सुना था कि भालू मरी हुई चीजों पर हमला नहीं करते हैं, इसलिए उसने अपनी आँखें बंद कर लीं, अपनी सांसें रोक लीं और बहुत शांत पड़ा रहा। भालू उसके करीब आ गया। यह उसके सिर के पास आया और सूंघा और उसके कान को सूंघ कर देखा कि क्या लड़का सांस ले रहा है, लेकिन लड़के ने अपनी सांस रोक रखी थी।

भालू ने लड़के को छोड़ दिया और यह सोचकर आगे बढ़ गया कि वह मर चुका है। भालू के जाने के बाद पेड़ से उतरा लड़का नीचे आया। क्या तुम ठीक हो? हाँ मैं। वह एक नजदीकी मामला था! सच है, यह था मुझे बताओ, मेरे दोस्त। मैंने देखा कि भालू तुम्हारे कान के पास आया और कुछ फुसफुसा रहा था। इसने आपको क्या कहा? इसने मुझे झूठे दोस्त से सावधान रहने और ऐसी संगत न रखने के लिए कहा।

कहानी की शिक्षा: मित्र वही जो मुसीबत में काम आये।


लालची चरवाहा (The Greedy Shepherd) – Moral Stories in Hindi Short

story in hindi
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एक दिन एक चरवाहा अपनी बकरियों को लेकर पास के जंगल में चराने गया । अचानक तेज बारिश होने लगी और वह अपनी बकरियों को हाँककर पास की एक गुफा में ले गया। चरवाहे ने जब देखा कि वहाँ पहले से कुछ जंगली बकरियाँ शरण लिये हुए हैं तो वह बहुत खुश हुआ। उसने सोचा, ‘इन बकरियों को भी अपनी बकरियों के झुंड में मिला लूंगा।’

यह सोचकर चरवाहा जंगली बकरियों की खूब देखभाल करता। उन्हें हरे पत्ते और घास खिलाता और अपनी बकरियों पर जरा भी ध्यान नहीं देता था। इसलिए वे दिनोंदिन कमजोर होती जा रही थीं। कई दिनों के बाद बरसात रुकी और बरसात रुकते ही जंगली बकरियाँ जंगल में भाग गईं।

चरवाहे ने सोचा, ‘चलो कोई बात नहीं। अपनी बकरियाँ तो हैं ही। किंतु उस वक्त उसके आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा, जब उसने देखा कि सब बकरियाँ भूख से मरी पड़ी हैं।

चरवाहा बोला, “मेरे जैसा मूर्ख व्यक्ति दूसरा नहीं होगा जो कि जंगली बकरियों के लालच में अपनी बकरियों से भी हाथ धो बैठा।” फिर पछतावे से हाथ मलता वह अपने घर लौट गया।

कहानी की शिक्षा: हमें संतोषी प्रवृत्ति अपनानी चाहिए।


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