Hindi Poem on Life Struggle: “सच हम नहीं सच तुम नहीं”
Hindi Poem on Life Struggle: दोस्तों, इस ब्लॉग पोस्ट में आपका हार्दिक स्वागत है। आज हम इस ब्लॉग में “सच हम नहीं सच तुम नहीं” नामक कविता के विशेष महत्व और संदेश के बारे में जानेंगे। इस कविता को डॉक्टर जगदीश गुप्त द्वारा हिंदी में लिखा गया है। उन्होंने इस कविता को बहुत ही रूचिकर शब्दों और भाव से सजाया है। चलिए, इस कविता (Best motivational poem in hindi) को ध्यान से पढ़ें और उसके विचारों को समझें।
“सच हम नहीं सच तुम नहीं” कविता डॉक्टर जगदीश गुप्त की एक गहरी और विचारशील (Motivational hindi kavita) रचना है। इस कविता के माध्यम से, कवि ने सत्य की सापेक्षता और उसके बहुआयामी स्वरूप को उजागर किया है। यह कविता व्यक्ति की अपनी सोच और दृष्टिकोण के अनुसार सत्य की विभिन्न व्याख्याओं पर जोर देती है।
कविता के माध्यम से, डॉक्टर गुप्त हमें सिखाते हैं कि हर व्यक्ति का अपना एक नजरिया होता है, और वह उसी के अनुसार सत्य को देखता और समझता है। इस तरह, “सच” एक व्यक्तिगत और व्यक्तिवादी धारणा बन जाती है। यह कविता हमें यह भी सिखाती है कि सत्य की खोज में हमें न केवल अपने नजरिए को बदलने की आवश्यकता है, बल्कि दूसरों के नजरिए को समझने की भी जरूरत है।
सच हम नहीं सच तुम नहीं (Hindi Poem on Life Struggle)
सच हम नहीं सच तुम नहीं,
सच है सतत संघर्ष ही।
संघर्ष से हट कर जिये तो क्या जिये हम या कि तुम,
जो नत हुआ वह मृत हुआ‚ ज्यों वृन्त से झर कर कुसुम,
जो पंथ भूल रुका नहीं‚
जो हार देख झुका नहीं‚
जिसने मरण को भी लिया हो जीत‚ है जीवन वही,
सच हम नहीं सच तुम नहीं।
ऐसा करो जिससे न प्राणों में कहीं जड़ता रहे,
जो है जहां चुपचाप अपने आप से लड़ता रहे,
जो भी परिस्थितियां मिलें‚
कांटे चुभें‚ कलियां खिलें‚
टूटे नही इन्सान बस संदेश जीवन का यही,
सच हम नहीं सच तुम नहीं।
हमने रचा आओ हमीं अब तोड़ दें इस प्यार को,
यह क्या मिलन‚ मिलना वही जो मोड़ दे मंझधार को,
जो साथ फूलों के चले‚
जो ढाल पाते ही ढले‚
यह जिंदगी क्या जिंदगी जो सिर्फ पानी–सी बही,
सच हम नहीं सच तुम नहीं।
अपने हृदय का सत्य अपने आप हमको खोजना,
अपने नयन का नीर अपने आप हमको पोंछना,
आकाश सुख देगा नहीं‚
धरती पसीजी है कहीं‚
हर एक राही को भटक कर ही दिशा मिलती रही,
सच हम नहीं सच तुम नहीं।
बेकार है मुस्कान से ढकना हृदय की खिन्नता,
आदर्श हो सकती नही तन और मन की भिन्नता,
जब तक बंधी है चेतना‚
जब तक प्रणय दुख से घना‚
तब तक न मानूंगा कभी इस राह को ही मैं नहीं,
सच हम नहीं सच तुम नहीं।
∼ जगदीश गुप्त
कविता का सार:
यह कविता जीवन जीने का सही तरीका सिखाती है। कवि हमें बताते हैं कि सच केवल एक पक्ष में नहीं होता, बल्कि दोनों पक्षों में होता है। जीवन में सफल होने के लिए हमें संघर्ष करना ज़रूरी है। हार मानने की बजाय हमें अपनी गलतियों से सीखना चाहिए और आगे बढ़ना चाहिए। हमें अपनी भावनाओं को दबाना नहीं चाहिए और अपने विचारों को खुलकर व्यक्त करना चाहिए।
यह कविता संघर्ष, जीवन और सच्चाई के बारे में है। यह कविता हमें सिखाती है कि जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए हमें संघर्ष करना पड़ता है। हमें कभी भी हार नहीं माननी चाहिए और हमेशा आगे बढ़ते रहना चाहिए। यह कविता एक प्रेरणादायक कविता है जो हमें जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है।
दोस्तों, इस ब्लॉग पोस्ट को पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद। मुझे उम्मीद है कि आपको यह जानकारी उपयोगी लगी होगी। यदि आपके पास कोई प्रश्न या टिप्पणी है, तो कृपया नीचे टिप्पणी करें। ऐसी ही और हिंदी कविता पढ़ने के लिए shayaribell को फॉलो करना न भूलें।
Sources: kavishala.com