Motivational Short Story in Hindi: धोखेबाज का अंत:

शेयर करें!

Motivational Short Story in Hindi: इस लेख में, हम हिंदी में एक प्रेरक लघु कहानी (Short story in hindi) प्रस्तुत करेंगे जो पंचतंत्र की कहानी (Panchatantra story in hindi) से प्रेरित है। हम आशा करते हैं कि आप इस मनोरम कहानी को हिंदी में पढ़कर आनंद लेंगे और इसे प्रेरणादायक पाएंगे।



धोखेबाज का अंत: (Panchatantra story) | Motivational Short Story in Hindi

Motivational Short Story in Hindi
Motivational Short Story in Hindi


किसी स्थान पर एक बहुत बड़ा तालाब था। वहीं एक बूढ़ा बगुला भी रहता था। बुढ़ापे के कारण वह कमजोर हो गया था। इस कारण मछलियाँ पकड़ने में असमर्थ था। वह तालाब के किनारे बैठकर, भूख से व्याकुल होकर आँसू बहाता रहता था।

एक बार एक केकड़ा उसके पास आया। बगुले को उदास देखकर उसने पूछा, ‘मामा, तुम रो क्यों रहे हो? क्या तुमने आजकल खाना-पीना छोड़ दिया है?..अचानक यह क्या हो गया?’ बगुले ने बताया- ‘पुत्र, मेरा जन्म इसी तालाब के पास हुआ था। यहीं मैंने इतनी उम्र बिताई। अब मैंने सुना है कि यहाँ बारह वर्षों तक पानी नहीं बरसेगा।’ केकड़े ने पूछा, ‘तुमसे ऐसा किसने कहा है?’

बगुले ने कहा- ‘मुझे एक ज्योतिषी ने यह बात बताई है। इस तालाब में पानी पहले ही कम है। शेष पानी भी जल्दी ही सूख जाएगा। तालाब के सूख जाने पर इसमें रहने वाले प्राणी भी मर जाएँगे। इसी कारण मैं परेशान हूँ।’

बगुले की यह बात केकड़े ने अपने साथियों को बताई। वे सब बगुले के पास पहुँचे। उन्होंने बगुले से पूछा-‘मामा, ऐसा कोई उपाय बताओ, जिससे हम सब बच सकें।’ बगुले ने बताया-‘यहां से कुछ दूर एक बड़ा सरोवर है। यदि तुम लोग वहाँ जाओ तो तुम्हारे प्राणों की रक्षा हो सकती है।’ सभी ने एक साथ पूछा-‘हम उस सरोवर तक पहुँचेंगे कैसे?’ चालाक बगुले ने कहा-‘मैं तो अब बूढ़ा हो गया हूँ। तुम लोग चाहो तो मैं तुम्हें पीठ पर बैठाकर उस तालाब तक ले जा सकता हूँ।’

सभी बगुले की पीठ पर चढ़कर दूसरे तालाब में जाने के लिए तैयार हो गए। दुष्ट बगुला प्रतिदिन एक मछली को अपनी पीठ पर चढ़ाकर ले जाता और शाम को तालाब पर लौट आता। इस प्रकार उसकी भोजन की समस्या हल हो गई। एक दिन केकड़े ने कहा-‘मामा, अब मेरी भी तो जान बचाइए।’ बगुले ने सोचा कि मछलियाँ तो वह रोज खाता है। आज केकड़े का मांस खाएगा। ऐसा सोचकर उसने केकड़े को अपनी पीठ पर बैठा लिया। उड़ते हुए वह उस बड़े पत्थर पर उतरा, जहाँ वह हर दिन मछलियों को खाया करता था।

केकड़े ने वहाँ पर पड़ी हुई हड्डियों को देखा। उसने बगुले से पूछा-‘मामा, सरोवर कितनी दूर है? आप तो थक गए होंगे।’ बगुले ने केकड़े को मूर्ख समझकर उत्तर दिया-‘अरे, कैसा सरोवर! यह तो मैंने अपने भोजन का उपाय सोचा था। अब तू भी मरने के लिए तैयार हो जा। मैं इस पत्थर पर बैठकर तुझे खा जाऊँगा।’ इतना सुनते ही केकड़े ने बगुले की गर्दन जकड़ ली और अपने तेज दाँतों से उसे काट डाला। बगुला वहीं मर गया।

केकड़ा किसी तरह धीरे-धीरे अपने तालाब तक पहुँचा। मछलियों ने जब उसे देखा तो पूछा-‘अरे, केकड़े भाई, तुम वापस कैसे आ गए। मामा को कहाँ छोड़ आए? हम तो उनके इंतजार में बैठे हैं।’ यह सुनकर केकड़ा हँसने लगा। उसने बताया-‘वह बगुला महाठग था। उसने हम सभी को धोखा दिया। वह हमारे साथियों को पास की एक चट्टान पर ले जाकर खा जाता था। मैंने उस धूर्त्त बगुले को मार दिया है। अब डरने की कोई बात नहीं है। इसीलिए कहा गया है कि जिसके पास बुद्धि है, उसी के पास बल भी होता है।’

Moral of the story:- छल-कपट से किया गया हर काम समय आने पर आपको भी ले डूबेगा।


Read also:-

Short Motivational Story in Hindi: भिखारी की सीख

अच्छे कर्मों का फल कहानी | Short Moral Hindi Story

Top 10 Moral Stories in Hindi 2023 for Kids –नैतिक कहानियाँ

Motivation Story | जिम्मेदारी का एहसास


Image Credit:- Canva


शेयर करें!

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *