महाराणा प्रताप शौर्य कविता | Maharana Pratap Poem in Hindi
Maharana Pratap Poem in Hindi:- आज के लेख में हम महाराणा प्रताप पर लिखी हिंदी कविता आपके साथ साझा करने जा रहे हैं। महाराणा प्रताप भारत माँ के ऐसे वीर पुत्र थे जो आज भी करोड़ो भारतीयों के दिलों में जिन्दा हैं। यह कविता आपको पसंद आएगी।
Maharana Pratap Poem in Hindi

अकबर की इस बात से
हर कोई हैरान था,
प्रताप को झुकाने के लिए
आधा हिन्दुस्तान देने को तैयार था।
पर मेवाड़ी सरदार को
अपनी स्वतन्त्रता से प्यार था,
इसलिए उसके लालच भरे
शर्त से इन्कार था।
हल्दीघाटी के युद्ध में
प्रताप का तलवार देख
शत्रु भाग रहा था,
राणा के एक हुंकार से
पूरा अरि दल काँप रहा था।
अकबर के सेनापति भी
प्रताप के सम्मुख आने से डरते थे,
क्योंकि सारे मुगल उनको
काल देवता कहते थे।
जीवन पर्यन्त प्रताप
दुश्मन से लड़ते रहें,
स्वतन्त्रता के खातिर
हर दुःख सहते रहें।
जंगल को अपना घर बनाया,
घास की रोटी खाया,
अपने साहस को बढ़ाया
फिर मातृभूमि को
मुगलों से स्वतंत्र कराया।
प्रताप के वीरता का
पूरे हिन्दुस्तान में चर्चा होने लगा,
ख़ुशी से हर कोई झूमने लगा
महल दीपों से सजने लगा।
अकबर को फिर ये समझ में आया
प्रताप को उसने कभी न हरा पाया
फिर इस धरा को छोड़
वो मेवाड़ी वीर स्वर्ग चला
स्वर्ग दूत भी राणा को
गौर से देखने लगा।
जब अकबर ने राणा के
मौत की सूचना पाई,
उसके चेहरे पर एक
उदासी छाई
राणा को हराने की
अकबर की ख्वाहिश कभी
पूरी नहीं हो पाई।
-वेदप्रकाश ‘वेदान्त’-
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