गाँधी जयंती पर कविताएं | Poems On Gandhi Jayanti In Hindi
Poems On Gandhi Jayanti In Hindi: गांधी जयंती के अवसर पर गांधी जी पर लिखी हिंदी कविताएं (Gandhi jayanti poem in hindi) जो आप विभिन्न जगह पर प्रतियोगिता और समारोह के द्वारा बोल सकते है।

महात्मा गांधी, जिन्हें राष्ट्रपिता और बापू के नाम से भी जाना जाता है, ने अपना जीवन अन्याय के खिलाफ लड़ने के लिए समर्पित कर दिया। हालाँकि स्वतंत्र भारत का उनका सपना सच हो गया, लेकिन देश में अभी भी उस दृष्टिकोण की कमी हो सकती है जो उन्होंने मन में देखा था।
गांधीजी के विचार और आदर्श आज भी भारत के विकास को प्रभावित करते हैं और कई लोग उन्हें अपना आदर्श मानते हैं और उनके रास्ते पर चलने की कोशिश करते हैं। कई प्रसिद्ध कवियों ने भी अपनी कविताओं के माध्यम से गांधीजी के प्रति अपनी प्रशंसा व्यक्त की है।
आइए अब नीचे दी गई गांधीजी पर हिंदी में कुछ कविताएँ (Poem on Gandhiji in Hindi ) पढ़ें। हमें उम्मीद है कि गांधी जी पर यह कविता (Gandhi Ji Par Kavita) आपको पसंद आएगी।
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गांधी जी पर कविता हिंदी में (Poems on gandhi jayanti in hindi)
एक दिन इतिहास पूछेगा
कि तुमने जन्म गाँधी को दिया था,
जिस समय हिंसा,
कुटिल विज्ञान बल से हो समंवित,
धर्म, संस्कृति, सभ्यता पर डाल पर्दा,
विश्व के संहार का षड्यंत्र रचने में लगी थी,
तुम कहाँ थे? और तुमने क्या किया था!
एक दिन इतिहास पूछेगा
कि तुमने जन्म गाँधी को दिया था,
जिस समय अन्याय ने पशु-बल सुरा पी-
उग्र, उद्धत, दंभ-उन्मद-
एक निर्बल, निरपराध, निरीह को
था कुचल डाला
तुम कहाँ थे? और तुमने क्या किया था?
एक दिन इतिहास पूछेगा
कि तुमने जन्म गाँधी को दिया था,
जिस समय अधिकार, शोषण, स्वार्थ
हो निर्लज्ज, हो नि:शंक, हो निर्द्वन्द्व
सद्य: जगे, संभले राष्ट्र में घुन-से लगे
जर्जर उसे करते रहे थे,
तुम कहाँ थे? और तुमने क्या किया था?
क्यों कि गाँधी व्यर्थ
यदि मिलती न हिंसा को चुनौती,
क्यों कि गाँधी व्यर्थ
यदि अन्याय की ही जीत होती,
क्यों कि गाँधी व्यर्थ
जाति स्वतंत्र होकर
यदि न अपने पाप धोती!
– हरिवंशराय बच्चन
गांधी जयंती पर कविता (Gandhi jayanti par kavita)
देश में जिधर भी जाता हूँ,
उधर ही एक आह्वान सुनता हूँ
“जड़ता को तोड़ने के लिए
भूकम्प लाओ ।
घुप्प अँधेरे में फिर
अपनी मशाल जलाओ ।
पूरे पहाड़ हथेली पर उठाकर
पवनकुमार के समान तरजो ।
कोई तूफ़ान उठाने को
कवि, गरजो, गरजो, गरजो !”
सोचता हूँ, मैं कब गरजा था ?
जिसे लोग मेरा गर्जन समझते हैं,
वह असल में गाँधी का था,
उस गाँधी का था, जिस ने हमें जन्म दिया था ।
तब भी हम ने गाँधी के
तूफ़ान को ही देखा,
गाँधी को नहीं ।
वे तूफ़ान और गर्जन के
पीछे बसते थे ।
सच तो यह है
कि अपनी लीला में
तूफ़ान और गर्जन को
शामिल होते देख वे हँसते थे ।
तूफ़ान मोटी नहीं,
महीन आवाज़ से उठता है ।
वह आवाज़ जो मोम के दीप के समान
एकान्त में जलती है,
और बाज नहीं, कबूतर के चाल से चलती है ।
गाँधी तूफ़ान के पिता
और बाजों के भी बाज थे ।
क्योंकि वे नीरवताकी आवाज थे।
– रामधारी सिंह “दिनकर”
2 अक्टूबर गांधी जयंती पर कविता (Gandhi jayanti poem in hindi)
बापू के हत्या के चालिस दिन बाद गया
मैं दिल्ली को, देखने गया उस थल को भी
जिस पर बापू जी गोली खाकर सोख गए,
जो रँग उठा उनके लोहू की लाली से।
बिरला-घर के बाएँ को है है वह लॉन हरा,
प्रार्थना सभा जिस पर बापू की होती थी,
थी एक ओर छोटी सी वेदिका बनी,
जिस पर थे गहरे लाल रंग के फूल चढ़े।
उस हरे लॉन के बीच देख उन फूलों को
ऐसा लगता था जैसे बापू का लोहू
अब भी पृथ्वी के ऊपर ताज़ा ताज़ा है!
सुन पड़े धड़ाके तीन मुझे फिर गोली के
काँपने लगे पाँवों के नीचे की धरती,
फिर पीड़ा के स्वर में फूटा ‘हे राम’ शब्द,
चीरता हुआ विद्युत सा नभ के स्तर पर स्तर
कर ध्वनित-प्रतिध्वनित दिक्-दिगंत बार-बार
मेरे अंतर में पैठ मुझे सालने लगा!
– हरिवंशराय बच्चन
गांधी जयंती पर कविता हिंदी में (Best poem on mahatma gandhi in hindi)
एक बार फिर
गाँधी जी ख़ामोश थे
सत्य और अहिंसा के प्रणेता
की जन्मस्थली ही
सांप्रदायिकता की हिंसा में
धू-धू जल रही थी
क्या इसी दिन के लिए
हिन्दुस्तान व पाक के बँटवारे को
जी पर पत्थर रखकर स्वीकारा था!
अचानक उन्हें लगा
किसी ने उनकी आत्मा
को ही छलनी कर दिया
उन्होंने ‘हे राम’ कहना चाहा
पर तभी उन्मादियों की एक भीड़
उन्हें रौंदती चली गई ।
– कृष्ण कुमार यादव
हिंदी में गांधी जयंती पर कविता (Gandhi jayanti kavita)
मैं फिर जनम लूंगा
फिर मैं इसी जगह आउंगा
उचटती निगाहों की भीड़ में
अभावों के बीच
लोगों की क्षत-विक्षत पीठ सहलाऊँगा
लँगड़ाकर चलते हुए पावों को कंधा दूँगा
गिरी हुई पद-मर्दित पराजित विवशता को
बाँहों में उठाऊँगा ।
इस समूह में
इन अनगिनत अचीन्ही आवाज़ों में
कैसा दर्द है
कोई नहीं सुनता !
पर इन आवाजों को और इन कराहों को
दुनिया सुने मैं ये चाहूँगा ।
मेरी तो आदत है
रोशनी जहाँ भी हो
उसे खोज लाऊँगा
कातरता, चु्प्पी या चीखें,
या हारे हुओं की खीज
जहाँ भी मिलेगी
उन्हें प्यार के सितार पर बजाऊँगा ।
जीवन ने कई बार उकसाकर
मुझे अनुलंघ्य सागरों में फेंका है
अगन-भट्ठियों में झोंका है,
मैने वहाँ भी ज्योति की मशाल प्राप्त करने के यत्न किये
बचने के नहीं,
तो क्या इन टटकी बंदूकों से डर जाऊँगा ?
तुम मुझकों दोषी ठहराओ
मैने तुम्हारे सुनसान का गला घोंटा है
पर मैं गाऊँगा
चाहे इस प्रार्थना सभा में
तुम सब मुझपर गोलियाँ चलाओ
मैं मर जाऊँगा
लेकिन मैं कल फिर जनम लूँगा
कल फिर आऊँगा ।
– दुष्यंत कुमार
मुझे उम्मीद है कि आपको गांधीजी की ये खूबसूरत कविताएं (Mahatma gandhi poem in hindi) पढ़कर मजा आया होगा। इन कविताओं को सबके साथ साझा करना न भूलें। Gandhi Jayanti status पढ़ने के लिए क्लिक करें।
धन्यवाद!