Hanuman Story Hindi | हनुमान जी की कहानी: हनुमान जन्म और बालकांड
Hanuman Story Hindi: आज के लेख में हम हनुमान जी की कहानी पढ़ने जा रहे है। हिंदू धर्म में भगवान हनुमान एक प्रमुख देवता हैं, जिन्हें भक्ति और वीरता का प्रतीक माना जाता है। उनकी कई महात्मय और कथाएं हैं, जिनमें से कुछ महत्वपूर्ण कथाएं उनके बाल्यकाल, शिक्षा और शाप के बारे में हैं। चलिए पढ़ना शुरू करते है।
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हनुमान जी का जन्म (Hanuman Story Hindi)
हनुमान का जन्म अंजना और केसरी वानर राजा के घर में हुआ था। जिसके लिए उन्होंने कई वर्षों तक तपस्या की थी। भगवान शिव ने उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें पुत्र का वरदान दिया था। कि उनका पुत्र वीर, शक्तिशाली और बुद्धिमान होगा। हनुमान का जन्म चैत्र शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को हुआ था। वे जन्मजात ही अत्यंत बलशाली और बुद्धिमान थे। हनुमान का जन्म पवन देव के तेज से हुआ था, इसलिए उन्हें पवनपुत्र भी कहा जाता है।
बचपन में एक बार सूर्य को पका हुआ फल समझकर, उसे खाने के लिए उड़ कर जाने लगे, उसी समय इन्द्र ने उन्हें रोकने के प्रयास में वज्र से प्रहार किया, जिससे बालक हनुमान की ठुड्डी टूट गई और वे मूर्छित होकर धरती पर गिर गए।
पवन देव ने इस घटना से क्रोधित होकर संसार भर में वायु के प्रभाव को रोक दिया, जिससे सभी प्राणियों में हाहाकार मच गया। वायु देव को शांत करने के लिए अंततः इंद्र ने अपने द्वारा किए गए वज्र के प्रभाव को वापस ले लिया। साथ ही, अन्य देवताओं ने बालक हनुमान को कई वरदान भी दिए। यद्यपि वज्र के प्रभाव ने हनुमान की ठुड्डी पर कभी न मिटने वाला चिह्न छोड़ दिया।
हनुमान जी और सूर्य देव की कथा (Bajrangbali Ki Kahani)
हनुमान जी जब बाल्यावस्था से थोड़े बड़े हुए तो उनके माता-पिता अंजनी और केसरी ने उन्हें सूर्य देव के पास भेजा, ताकि वे सभी वेदों का ज्ञान हासिल कर सके। अपने माता-पिता की बात मानकर हनुमान जी सूर्य देव के पास पहुंच गए। उन्होंने सूर्य से गुरु बनने की प्रार्थना की।
सूर्य देव ने हनुमान जी की लगन और दृढ़ संकल्प को देखकर उन्हें अपना शिष्य स्वीकार कर लिया। हनुमान जी ने सूर्य देव से वेद, शास्त्र, व्याकरण, युद्ध कला और अन्य सभी ज्ञानों में महारत हासिल की।
हनुमान जी अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद भी सूर्य देव के प्रति कृतज्ञता से भर गए। उन्होंने सूर्य देव से आशीर्वाद मांगा और उनसे कहा कि वे हमेशा उनके मार्गदर्शक और रक्षक बने रहें।
सूर्य देव ने हनुमान जी को आशीर्वाद दिया और कहा कि वे हमेशा उनके साथ रहेंगे और उन्हें जीवन में सफलता प्राप्त करने में मदद करेंगे।
हनुमान ने सुर्य देव से गुरु-दक्षिणा लेने के लिये आग्रह किया परन्तु सुर्य देव ने ये कहकर मनाकर दिया कि ‘तुम जैसे समर्पित शिष्य को शिक्षा प्रदान करने में मैने जिस आनंद की अनुभूती की है। वो किसी गुरु-दक्षिणा से कम नहीं है।
परन्तु हनुमान के पुनः आग्रह करने पर सुर्य देव ने गुरु-दक्षिणा स्वरूप हनुमान को सुग्रीव की सहायता करने की आज्ञा दे दी।
हनुमान के इच्छानुसार सुर्य देव का हनुमान को शिक्षा देना सुर्य देव के अनन्त, अनादि, नित्य,अविनाशी और कर्म-साक्षी होने का वर्णन करता है।
हनुमान जी और साधु द्वारा दिया गया शाप (Hanuman Katha)
हनुमान जी बचपन में बहुत नटखट थे। वे अपनी शक्तियों का उपयोग करके साधु-संतों को परेशान करते थे। वे उनकी पूजा सामग्री छीन लेते थे, उनके फल और सब्जियां खा जाते थे, और कभी-कभी उन्हें डरा भी देते थे।
एक दिन, हनुमान जी ने एक साधु के ध्यान को भंग कर दिया। क्रोधित होकर, साधु ने हनुमान जी को शाप दिया कि वे अपनी सभी शक्तियों को भूल जाएंगे।
हनुमान जी ने क्षमा मांगी, लेकिन साधु ने अपना शाप वापस नहीं लिया। उन्होंने कहा कि हनुमान जी को अपनी शक्तियों को याद दिलाने के लिए किसी की आवश्यकता होगी।
यह शाप हनुमान जी के जीवन का एक महत्वपूर्ण मोड़ था। इस शाप के कारण, हनुमान जी अपनी असीमित शक्तियों को भूल गए और एक साधारण वानर बन गए।
हनुमान जी ने कई वर्षों तक भगवान राम की भक्ति की। जब राम और रावण के बीच युद्ध हुआ, तब हनुमान जी ने अपनी शक्तियों को याद किया और राम की सेना में शामिल हो गए।
हनुमान जी की शक्तियों ने राम को रावण पर विजय प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यदि हनुमान जी शापग्रस्त नहीं होते, तो वे स्वयं ही रावण और लंका को नष्ट कर सकते थे।
हनुमान जी का शाप हमें सिखाता है कि हमें अपनी शक्तियों का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए। हमें अपनी शक्तियों का उपयोग दूसरों की मदद करने के लिए करना चाहिए।
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हनुमान जी के शाप के बावजूद वे भगवान राम के प्रति भक्ति और समर्पण के बल पर अनेक कार्य कर पाए। वे रामायण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और आज भी हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण देवता माने जाते हैं।
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