Independence Day Poem in Hindi । स्वतंत्रता दिवस पर कविताएं

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Independence day poem in hindi: दोस्तों, आज इस लेख में स्वतंत्रता दिवस की कुछ (Independence Day Poem in Hindi) महानतम और प्रसिद्ध कविताओं का संकलन है। यह15 August Poem in Hindi में आपके लिए प्रस्तुत की गई है। हम आशा करते हैं कि आपको यह Independence Day Hindi Poem, आज़ादी के बारे में हिंदी में कविता पसंद आएगी।

स्वतंत्रता दिवस भारत में हर साल 15 अगस्त को मनाया जाने वाला एक शुभ अवसर है, जब पूरा देश कड़ी मेहनत से लड़ी गई आजादी की याद में एकजुट होता है। इस महत्वपूर्ण दिन को न केवल शैक्षणिक संस्थानों और राजनीतिक क्षेत्रों में हर्षोल्लास और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है, बल्कि देश के कोने-कोने में भी इसकी गूंज सुनाई देती है।

भारत 200 वर्षों तक ब्रिटिश शासन के अधीन था, लेकिन फिर 15 अगस्त 1947 को हम अंततः स्वतंत्र हो गये। अब हर साल इसी दिन हम अपनी आजादी का जश्न मनाते हैं और यह वास्तव में भारत में हम सभी के लिए गर्व का दिन है।

स्वतंत्रता दिवस पर कविताएं । Independence Day Poem in Hindi

Independence Day Poem in Hindi
Independence Day Poem in Hindi

इस शुभ अवसर पर हम आपके लिए आजादी पर लिखी गई 15 august poem साझा कर रहे हैं, आशा है आपको Poem on Azadi in Hindi पसंद आएगी।

आज तिरंगा लहराता है (Independence Day Poem)


आज तिरंगा लहराता है अपनी पूरी शान से।
हमें मिली आज़ादी वीर शहीदों के बलिदान से।।

आज़ादी के लिए हमारी लंबी चली लड़ाई थी।
लाखों लोगों ने प्राणों से कीमत बड़ी चुकाई थी।।

व्यापारी बनकर आए और छल से हम पर राज किया।
हमको आपस में लड़वाने की नीति अपनाई थी।।

हमने अपना गौरव पाया, अपने स्वाभिमान से।
हमें मिली आज़ादी वीर शहीदों के बलिदान से।।

गांधी, तिलक, सुभाष, जवाहर का प्यारा यह देश है।
जियो और जीने दो का सबको देता संदेश है।।

प्रहरी बनकर खड़ा हिमालय जिसके उत्तर द्वार पर।
हिंद महासागर दक्षिण में इसके लिए विशेष है।।

लगी गूँजने दसों दिशाएँ वीरों के यशगान से।
हमें मिली आज़ादी वीर शहीदों के बलिदान से।।

हमें हमारी मातृभूमि से इतना मिला दुलार है।
उसके आँचल की छैयाँ से छोटा ये संसार है।।

हम न कभी हिंसा के आगे अपना शीश झुकाएँगे।
सच पूछो तो पूरा विश्व हमारा ही परिवार है।।

विश्वशांति की चली हवाएँ अपने हिंदुस्तान से।
हमें मिली आज़ादी वीर शहीदों के बलिदान से।।




आह्वान (Poem on Independence Day in Hindi)


कस ली है कमर अब तो, कुछ करके दिखाएंगे,
आज़ाद ही हो लेंगे, या सर ही कटा देंगे।

हटने के नहीं पीछे, डरकर कभी जुल्मों से,
तुम हाथ उठाओगे, हम पैर बढ़ा देंगे।
बेशस्त्र नहीं हैं हम, बल है हमें चरख़े का,
चरख़े से ज़मीं को हम, ता चर्ख़ गुंजा देंगे।

परवा नहीं कुछ दम की, ग़म की नहीं, मातम की,
है जान हथेली पर, एक दम में गंवा देंगे।

उफ़ तक भी जुबां से हम हरगिज़ न निकालेंगे,
तलवार उठाओ तुम, हम सर को झुका देंगे।
सीखा है नया हमने लड़ने का यह तरीका,
चलवाओ गन मशीनें, हम सीना अड़ा देंगे।

दिलवाओ हमें फांसी, ऐलान से कहते हैं,
ख़ूं से ही हम शहीदों के, फ़ौज बना देंगे।

मुसाफ़िर जो अंडमान के, तूने बनाए, ज़ालिम,
आज़ाद ही होने पर, हम उनको बुला लेंगे।

— अशफाकउल्ला खां




जब भारत आज़ाद हुआ था (15 August Poem in Hindi)


जब भारत आज़ाद हुआ था
आजादी का राज हुआ था।

वीरों ने क़ुरबानी दी थी
तब भारत आज़ाद हुआ था।

भगत सिंह ने फांसी ली थी
इंदिरा का जनाज़ा उठा था।

इस मिटटी की खुशबू ऐसी थी
तब खून की आँधी बहती थी।

वतन का ज़ज्बा ऐसा था
जो सबसे लड़ता जा रहा था।

लड़ते लड़ते जाने गयी थी
तब भारत आज़ाद हुआ था।।

फिरंगियों ने ये वतन छोड़ा था
इस देश के रिश्तों को तोडा था।

फिर भारत दो भागो में बाटा था
एक हिस्सा हिन्दुस्तान था।

दूसरा पाकिस्तान कहलाया था
सरहद नाम की रेखा खींची थी।

जिसे कोई पार ना कर पाया था
ना जाने कितनी माये रोइ थी,
ना जाने कितने बच्चे भूके सोए थे,
हम सब ने साथ रहकर
एक ऐसा समय भी काटा था।

विरो ने क़ुरबानी दी थी
तब भारत आज़ाद हुआ था।




मेरा देश (Patriotic Poem for Kids)


प्यारा प्यारा मेरा देश,
सबसे न्यारा मेरा देश।

दुनिया जिस पर गर्व करे,
ऐसा सितारा मेरा देश।

चांदी सोना मेरा देश,
सफ़ल सलोना मेरा देश।

गंगा जमुना की माला का,
फूलोँ वाला मेरा देश।

आगे जाए मेरा देश,
नित नए मुस्काएं मेरा देश।

इतिहासों में बढ़ चढ़ कर,
नाम लिखायें मेरा देश।


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विजयी विश्व तिरंगा प्यारा (Independence Day Hindi Poem)


विजयी विश्व तिरंगा प्यारा,
झंडा ऊँचा रहे हमारा।

सदा शक्ति बरसाने वाला,
प्रेम सुधा सरसाने वाला
वीरों को हर्षाने वाला
मातृभूमि का तन-मन सारा,
झंडा ऊँचा रहे हमारा।

स्वतंत्रता के भीषण रण में,
लखकर जोश बढ़े क्षण-क्षण में,
काँपे शत्रु देखकर मन में,
मिट जाये भय संकट सारा,
झंडा ऊँचा रहे हमारा।

इस झंडे के नीचे निर्भय,
हो स्वराज जनता का निश्चय,
बोलो भारत माता की जय,
स्वतंत्रता ही ध्येय हमारा,
झंडा ऊँचा रहे हमारा।

आओ प्यारे वीरों आओ,
देश-जाति पर बलि-बलि जाओ,
एक साथ सब मिलकर गाओ,
प्यारा भारत देश हमारा,
झंडा ऊँचा रहे हमारा।

इसकी शान न जाने पावे,
चाहे जान भले ही जावे,
विश्व-विजय करके दिखलावे,
तब होवे प्रण-पूर्ण हमारा,
झंडा ऊँचा रहे हमारा।

— श्यामलाल गुप्त पार्षद




पंद्रह अगस्त की पुकार (15 August Poem)


पंद्रह अगस्त का दिन कहता: आज़ादी अभी अधूरी है।
सपने सच होने बाकी है, रावी की शपथ न पूरी है॥

जिनकी लाशों पर पग धर कर आज़ादी भारत में आई,
वे अब तक हैं खानाबदोश ग़म की काली बदली छाई॥

कलकत्ते के फुटपाथों पर जो आँधी-पानी सहते हैं।
उनसे पूछो, पंद्रह अगस्त के बारे में क्या कहते हैं॥

हिंदू के नाते उनका दु:ख सुनते यदि तुम्हें लाज आती।
तो सीमा के उस पार चलो सभ्यता जहाँ कुचली जाती॥

इंसान जहाँ बेचा जाता, ईमान ख़रीदा जाता है।
इस्लाम सिसकियाँ भरता है, डालर मन में मुस्काता है॥

भूखों को गोली नंगों को हथियार पिन्हाए जाते हैं।
सूखे कंठों से जेहादी नारे लगवाए जाते हैं॥

लाहौर, कराची, ढाका पर मातम की है काली छाया।
पख्तूनों पर, गिलगित पर है ग़मगीन गुलामी का साया॥

बस इसीलिए तो कहता हूँ आज़ादी अभी अधूरी है।
कैसे उल्लास मनाऊँ मैं? थोड़े दिन की मजबूरी है॥

दिन दूर नहीं खंडित भारत को पुन: अखंड बनाएँगे।
गिलगित से गारो पर्वत तक आज़ादी पर्व मनाएँगे॥

उस स्वर्ण दिवस के लिए आज से कमर कसें बलिदान करें।
जो पाया उसमें खो न जाएँ, जो खोया उसका ध्यान करें॥

— अटल बिहारी वाजपेयी




स्वतंत्रता दिवस पर वीर रस की कविता (Patriotism Poem in Hindi)


सरहद पे गोली खाके जब टूट जाए मेरी सांस
मुझे भेज देना यारों मेरी बूढ़ी मां के पास

बड़ा शौक था उसे मैं घोड़ी चढूं
धमाधम ढोल बजे
तो ऐसा ही करना
मुझे घोड़ी पे लेके जाना
ढोलकें बजाना
पूरे गांव में घुमाना
और मां से कहना
बेटा दूल्हा बनकर आया है
बहू नहीं ला पाया तो क्या
बारात तो लाया है

मेरे बाबूजी, पुराने फ़ौजी, बड़े मनमौजी
कहते थे- बच्चे, तिरंगा लहरा के आना
या तिरंगे में लिपट के आना
कह देना उनसे, उनकी बात रख ली
दुश्मन को पीठ नहीं दिखाई
आख़िरी गोली भी सीने पे खाई

मेरा छोटा भाई, उससे कहना
क्या मेरा वादा निभाएगा
मैं सरहदों से बोल कर आया था
कि एक बेटा जाएगा तो दूसरा आएगा

मेरी छोटी बहना, उससे कहना
मुझे याद था उसका तोहफ़ा
लेकिन अजीब इत्तेफ़ाक़ हो गया
भाई राखी से पहले ही राख हो गया

वो कुएं के सामने वाला घर
दो घड़ी के लिए वहां ज़रूर ठहरना
वहीं तो रहती है वो
जिसके साथ जीने मरने का वादा किया था
उससे कहना
भारत मां का साथ निभाने में उसका साथ छूट गया
एक वादे के लिए दूसरा वादा टूट गया

बस एक आख़िरी गुज़ारिश
आख़िरी ख़्वाहिश
मेरी मौत का मातम न करना
मैने ख़ुद ये शहादत चाही है
मैं जीता हूं मरने के लिए
मेरा नाम सिपाही है

— मनोज मुंतशिर




स्वतंत्रता दिवस पर कविता (Patriotic Poem Hindi)


क्या प़ढ़ते हो कि़ताबो मे
आ़ओ मै तुम्हे़ ब़ताती हू,
पन्द्रह अग़स्त की अ़सली परिभाषा
आज़ अ़च्छे से स़मझती हू।
एक़ दौर था जब़ भारत को,

सोने की़ चिड़िया क़हते थे।
कैद़ क़र लिया इ़स चिड़िये को,
वो शिका़री अग्रेज क़हलाते थे।
कुत़र-कुत़र क़र सारे पख,
अधम़रा क़र छोड़ा था।

सासे़ च़ल रही थी ब़स,
ताक़त से अब़ रिश्ता पुराना था।
क़हते है कि हिम्म़त से ब़ढ़ क़र,
दुनिया मे औऱ कु़छ ऩहीं होता।
क़तरा-क़तरा समेट क़र,

फिर उ़ठ ख़ड़ी हुई वो चिड़िया।
बिख़र ग़ए थे सारे पख,
तो बि़न पखो के उ़ड़ना सीख़ लिया।
परिस्थिति चाहे जै़सी भी थी दोस्तो,
उ़सने लड़ना सीख़ लिया।
ल़ड़ती रही अतिम सा़स तक़,
और सफ़लता उसके हाथ़ लगी।

आज़ादी की थी चाह़ मन मे,
और वो आ़ज़ादी के़ घ़र लौट ग़यी।
आज़ उस चिड़िया को ह़म,
गर्व से भारत बु़लाते है।
और सीना़ ग़द-ग़द हो जाता,
ज़ब हम़ भारतीय क़हलाते है।
आज़ादी का य़ह प़र्व दोस्तो,

आ़ओ मिल क़र म़नाते है,
चाहे ऱहे हम अमेरिका या ल़दन
भारत को आगे़ ब़ढ़ाते है,
भारत के गुण़ गाते है औ़र पन्द्रह अग़स्त मनाते हैं।

— Kanak Mishra


मुझे उम्मीद है कि स्वतंत्रता दिवस पर हिंदी ( Independence Day Poem in Hindi ) में लिखी कविताएं आपको हमारे देश पर गर्व महसूस कराएगी और स्वतंत्रता दिवस पर लिखी गई कविताएं (Swatantrata diwas par kavita) आपको अपने देश से और भी अधिक देशभक्ति करने के लिए प्रेरित करेंगी।
Happy Independence Day!

Image Credit:- Canva, Freepik


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