Motivational Story in Hindi for Student| शतरंज के खिलाडी
आज की कहानी “शतरंज के खिलाडी” (motivational story in hindi for student) एक लड़के की कहानी है। यह short motivational story in hindi आपको पसंद आएगी।

बहुत समय पहले की बात है। विनोद नाम का एक युवक था। विनोद के माता पिता की किसी सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी। उसका इस धरती पर कोई नहीं था वह बिल्कुल अकेला हो गया था। वनोद बहुत दुखी रहने लगा। किसी भी कार्य में मन नहीं लगता था। एक दिन विनोद अपने पास के एक गांव में अपने किसी दोस्त के घर जा रहा था। उस रास्ते में एक आश्रम पड़ता था। विनोद जब उस आश्रम के नजदीक पहुंचा तो आश्रम से भजन कीर्तन की आवाज आ रही थी।
विनोद भजन में इतना मगन हो गया हुआ था उसे पता ही नहीं चला कब वह आश्रम के भीतर आ गया। जब भजन कीर्तन समाप्त हुआ, विनोद ने आश्रम के महंत से कहा, “बाबा मैं साधू बनना चाहता हूँ” लेकिन एक समस्या ये है कि मुझे कुछ भी नहीं आता, केवल एक चीज़ के और वो है शतरंज लेकिन शतरंज से मुक्ति तो नहीं मिलती। शतरंज के अलावा मुझे किसी और का ज्ञान नहीं।
महंत अंतर्यामी थे, विनोद को देखते ही महंत के सामने विनोद की दुखी जीवन का पता चल गया था। विनोद का आश्रम को ईश्वर और प्रति विश्वास और समर्पण देखने के लिए महंत के मन में एक विचार आया।
महंत ने विनोद से कहा, “हाँ शतरंज से मुक्ति तो नहीं मिलती है” और कहा, क्या पता इस आश्रम को तुम्हारे इस खेल से कोई लाभ पहुंचे। महंत ने शतरंज की एक बिसात बिछाई और विनोद को शतरंज की एक बाजी खेलने को कहा।
खेल शुरू होने वाला था महंत ने विनोद को कहा कि देखो “हम शतरंज की एक बाजी खेलेंगे और अगर मैं हार गया तो मैं इस आश्रम को हमेशा के लिए छोड़ दूंगा और तुम मेरा स्थान ले लोगे।”
विनोद ने देखा महंत वास्तव में गंभीर था तो विनोद के लिए अब ये बाजी जिन्दगी और मौत का सवाल बन गयी थी, क्योंकि वो आश्रम में रहना चाहता था इसलिए उसे ये था कि मैं हार न जाऊ।
विनोद के माथे से पसीना भी छूट रहा था। वंहा मौजूद सभी लोगों के लिए अब ये शतरंज का बोर्ड एक महत्वपूर्ण खेल की तरह हो गया था। महंत ने खराब शुरुआत की। विनोद ने कई कठोर चालें चली, लेकिन उसने क्षण भर के लिए महंत के चेहरे को देखा। फिर जानबूझकर खराब खेलने लगा।
अचानक ही महंत ने बिसात ठोकर मरकर जमीन पर गिरा दी। महंत ने कहा, “ तुम्हे जितना सिखाया गया था तुम उस से कंही ज्यादा जानते हो। तुम्हें अपना पूरा ध्यान जीतने पर लगाना था और अपने सपनों के लिए लड़ना था। फिर तुम्हारे भीतर करूंणा जाग उठी और तुमने भले कार्य के लिए त्याग करने का निश्चय कर लिया।”
महंत ने मुस्कुरा कर कहा ”तुम्हारा इस आश्रम में स्वागत है क्योंकि तुम जानते हो कि कैसे अनुशसन और करुणा में सामजस्य स्थापित किया जा सकता है आने वाले समय में तुम एक महान साधु बन सकते हो।”
शिक्षा:- हम जो भी कुछ पाना चाहते है ईश्वर भी हमारे अंदर उस चीज को पाने के लिए विश्वास और दृढ़ता देखते है। सच्चे मन से और अपनी लगन से कम कुछ भी पा सकते है।
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धन्यवाद!
Story in hindi written by:- Minakshi
Image credit:- canva.com, freepik.com
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