खुशबू की कीमत – मुल्ला नसरुद्दीन की कहानी | Mulla Nasruddin Story in Hindi

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Mulla Nasruddin Story in Hindi: कहानियां बच्चों को हमेशा आकर्षित करती हैं। हालांकि, अगर कहानी के पात्र वास्तविक लोगों पर आधारित हैं, तो वे उनके दिलो-दिमाग पर एक अलग छाप छोड़ सकते हैं। ऐसा ही एक पात्र है मुल्ला नसरुद्दीन। वह आज भी अपने मजाकिया व्यक्तित्व और उनसे जुड़ी कहानियों, चुटकुलों और किस्सों में जिंदा हैं। आपको यह कहानी जरूर पसंद आएगी।

खुशबू की कीमत (Mulla Nasruddin Story in Hindi)


बहुत समय पहले की बात है कलां शहर में एक भिखारी भीख मांगकर अपना गुजारा करता था, एक दिन जब वह लोगों से कुछ खाने की भीख मांग रहा था तो एक महिला ने अपनी बची हुई रोटियों में से कुछ भिखारी को दे दी। रोटी तो मिल जाती पर सब्जी नहीं मिलती। सब्जी ढूंढ़ते-ढूंढते वह एक पंडाल में पहुंच जाता है। वहां भिखारी पंडाल के मालिक से रोटी के लिए कुछ सब्जी मांगता है। पंडाल का मालिक भिखारी को देखकर गुस्सा हो जाता है और भिखारी को भगा देता है।

बेचारा भिखारी किसी तरह मालिक की निगाह से बच निकलता है और पंडाल की रसोई में पहुंच जाता है। वहां, वह विभिन्न प्रकार की सब्जियों से भाप निकलते हुए देखता है और उनकी स्वादिष्ट खुशबू से चकित हो जाता है।

भाप देखकर भिखारी के दिमाग में आया कि अगर इस भाप के ऊपर रोटियां रख दी जाएं तो उनमें सब्जी की खुशबू आ जाएगी। फिर रोटी में भी सब्जी का स्वाद आने लगेगा और सब्जी की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। यह सब सोचकर वह भिखारी रोटी पर सब्जी डालने के बजाय सब्जी से निकलने वाली भाप के ऊपर रख देता है।

तभी अचानक पंडाल का मालिक वहां आ जाता है और भिखारी को सब्जी चुराने के आरोप में पकड़ लेता है। भिखारी उससे कहता है कि मैंने सब्जी नहीं चुराई है। मैं तो केवल सब्जी की सुगंध ले रहा था। मालिक भिखारी को धमकी देता है कि अगर तुमने सुगंध ली है तो भी तुम्हें उस सुगंध का भुगतान करना होगा।

भयभीत स्वर में भिखारी ने उससे कहा, “स्वामी, मेरे पास कुछ भी नहीं है, जिससे मैं सुगंध की कीमत चुका सकूँ।” फिर पंडाल मालिक उसे पकड़ लेता है और मुल्ला नसरुद्दीन के दरबार में ले जाता है।

पंडाल मालिक और भिखारी की बात मुल्ला नसरुद्दीन ध्यान से सुनता है। दोनों की बात सुनने के बाद मुल्ला कुछ देर सोचता है और पंडाल मालिक से कहता है कि तुम्हें अपनी सब्जी की सुगंध के बदले पैसे चाहिए। पंडाल मलिका कहता है, जी हां।

मुल्ला पंडाल के मालिक से कहता है, “तुम्हारी सब्ज़ियों की महक का दाम मैं अपने पैसे से चुकाऊँगा।” यह सुनकर पंडाल का मालिक खुश हो जाता है। फिर मुल्ला नसरुद्दीन उससे कहता है, “मैं तुम्हारी सब्जियों की खुशबू की कीमत सिक्कों की खनक से चुकाऊंगा।” इतना कहते ही मुल्ला ने जेब से कुछ सिक्के निकाले और उन्हें खनखनाने लगा। फिर उसने उन सिक्कों को वापस अपनी जेब में रख लिया।

पंडाल मालिक यह सब देखकर हैरान रह जाता है। वह मुल्ला नसरुद्दीन से कहता है कि उसने क्या कीमत चुकाई है। इसके जवाब में मुल्ला कहता है, “इस भिखारी ने तुम्हारी सब्जी की खुशबू ली थी। इसलिए मैंने तुम्हें सिक्कों की खनखनाहट सुनाई है। अगर यह भिखारी सब्जी लेता तो तुम्हें कुछ सिक्के जरूर मिलते।”

मुल्ला का जवाब सुनकर पंडाल का मालिक नजरें चुराते हुए वहां से चला जाता है। भिखारी भी खुशी-खुशी अपने रास्ते चल पड़ता है।

कहानी से सीख: हर समस्या का समाधान बुद्धि और चतुराई से किया जा सकता है, जैसा कि इस कहानी में मुल्ला नसरुद्दीन ने पंडाल के मालिक के साथ किया।


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By: Neha Gupta
Image Credit:- Canva


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