Best Poem on Diwali in Hindi 2023 | दिवाली पर हिंदी कविताऍं
Poem on Diwali in Hindi 2023: हेलो दोस्तों, आज के लेख में हम दिवाली पर कुछ बेहतरीन कविताएं (Diwali Poem in Hindi) साझा कर रहे हैं। उम्मीद है आपको पसंद आयेंगी।
दिवाली, जिसे दीपावली या दीपोत्सव के नाम से भी जाना जाता है, हर साल शरद ऋतु में मनाया जाने वाला एक हिंदू त्योहार है। यह भारत के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है और दुनिया भर के कई अन्य देशों में भी मनाया जाता है।
दिवाली को “प्रकाश का त्योहार” कहा जाता है और यह बुराई पर अच्छाई, अंधकार पर प्रकाश और अज्ञान पर ज्ञान की जीत का प्रतीक है। इस दिन, हिंदू अपने घरों को रोशन करते हैं, मिठाइयाँ बाँटते हैं, आतिशबाजी करते हैं और देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं।
दिवाली का त्यौहार कई पौराणिक कथाओं से जुड़ा हुआ है। एक कहानी के अनुसार, यह राम के वनवास से अयोध्या लौटने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। एक अन्य कहानी के अनुसार, यह भगवान कृष्ण द्वारा राक्षस नरकासुर के वध की याद में मनाया जाता है।
इस साल यह त्योहार 12 नवंबर 2023 को मनाया जा रहा है। दिवाली के इस खास दिन पर हम आपके लिए दिवाली पर कुछ हिंदी कविताएं लेकर आए हैं। जिसे आप अपने स्कूल और कॉलेज में बोल सकते हैं।
Page Contents
दिवाली की रात है आई (Poem on Diwali in Hindi)
दीपों की पंक्ति में हँसती,
दिवाली की रात है आई
दीपा, राजू ने मिल-जुल कर,
घर, आँगन की करी सफाई
पूजा की थाली में सजते,
मेवा, कुमकुम, फूल, मिठाई
फूलझड़ी नाचे मतवाली,
नाचे फिरकी और हवाई
खिल खिल करते हँसे अनार,
बम्बों ने है धूम मचाई
पुण्य सदा जीता है जग में,
यही तो है अटल सच्चाई
प्रेम प्यार का भाव बताती,
दिवाली की रात है आई।
– राजेन्द्र निशेश
साथी, घर-घर आज दिवाली (Diwali Short Poem in Hindi)
फैल गयी दीपों की माला
मंदिर-मंदिर में उजियाला,
किंतु हमारे घर का, देखो, दर काला, दीवारें काली।
साथी, घर-घर आज दिवाली।
हास उमंग हृदय में भर-भर
घूम रहा गृह-गृह पथ-पथ पर,
किंतु हमारे घर के अंदर डरा हुआ सूनापन खाली।
साथी, घर-घर आज दिवाली
आँख हमारी नभ-मंडल पर,
वही हमारा नीलम का घर,
दीप मालिका मना रही है रात हमारी तारोंवाली
साथी, घर-घर आज दिवाली।
– हरिवंशराय बच्चन
जगमग-जगमग (Short Poem on Diwali in Hindi)
हर घर, हर दर, बाहर, भीतर,
नीचे ऊपर, हर जगह सुघर,
कैसी उजियाली है पग-पग,
जगमग जगमग जगमग जगमग।
छज्जों में, छत में, आले में,
तुलसी के नन्हें थाले में,
यह कौन रहा है दृग को ठग?
जगमग जगमग जगमग जगमग।
पर्वत में, नदियों, नहरों में,
प्यारी प्यारी सी लहरों में,
तैरते दीप कैसे भग-भग।
जगमग जगमग जगमग जगमग।
राजा के घर, कंगले के घर,
हैं वही दीप सुंदर सुंदर।
दीवाली की श्री है पग-पग,
जगमग जगमग जगमग जगमग।
– सोहनलाल द्विवेदी
आज फिर से तुम बुझा दीपक जलाओ (Diwali Poem in Hindi)
आज फिर से तुम बुझा दीपक जलाओ।
है कंहा वह आग जो मुझको जलाए,
है कंहा वह ज्वाल पास मेरे आए,
रागिनी, तुम आज दीपक राग गाओ;
आज फिर से तुम बुझा दीपक जलाओ।
तुम नई आभा नहीं मुझमें भरोगी,
नव विभा में स्नान तुम भी तो करोगी,
आज तुम मुझको जगाकर जगमगाओ;
आज फिर से तुम बुझा दीपक जलाओ।
मैं तपोमय ज्योति की, पर, प्यास मुझको,
है प्रणय की शक्ति पर विश्वास मुझको,
स्नेह की दो बूंदे भी तो तुम गिराओ;
आज फिर से तुम बुझा दीपक जलाओ।
कल तिमिर को भेद मैं आगे बढूंगा,
कल प्रलय की आंधियों से मैं लडूंगा,
किन्तु आज मुझको आंचल से बचाओ;
आज फिर से तुम बुझा दीपक जलाओ।
– हरिवंशराय बच्चन
आओ फिर से दिया जलाएँ (Poem in Hindi on Diwali)
आओ फिर से दिया जलाएँ
भरी दुपहरी में अंधियारा
सूरज परछाई से हारा
अंतरतम का नेह निचोड़ें,
बुझी हुई बाती सुलगाएँ
आओ फिर से दिया जलाएँ।
हम पड़ाव को समझे मंज़िल
लक्ष्य हुआ आंखों से ओझल
वतर्मान के मोहजाल में
आने वाला कल न भुलाएँ
आओ फिर से दिया जलाएँ।
आहुति बाकी यज्ञ अधूरा
अपनों के विघ्नों ने घेरा
अंतिम जय का वज़्र बनाने,
नव दधीचि हड्डियां गलाएँ
आओ फिर से दिया जलाएँ।
– अटल बिहारी वाजपेयी
दीपदान (Poem for Diwali in Hindi)
जल, रे दीपक, जल तू
जिनके आगे अँधियारा है,
उनके लिए उजल तू।
जोता, बोया, लुना जिन्होंने
श्रम कर ओटा, धुना जिन्होंने
बत्ती बँटकर तुझे संजोया,
उनके तप का फल तू
जल, रे दीपक, जल तू।
अपना तिल-तिल पिरवाया है
तुझे स्नेह देकर पाया है
उच्च स्थान दिया है घर में
रह अविचल झलमल तू
जल, रे दीपक, जल तू।
चूल्हा छोड़ जलाया तुझको
क्या न दिया, जो पाया, तुझका
भूल न जाना कभी ओट का
वह पुनीत अँचल तू
जल, रे दीपक, जल तू।
कुछ न रहेगा, बात रहेगी
होगा प्रात, न रात रहेगी
सब जागें तब सोना सुख से
तात, न हो चंचल तू
जल, रे दीपक, जल तू।
– मैथिलीशरण गुप्त
दूर हुए अंधियारे, आई दिवाली (Poem on Diwali)
जग़मग-जगमग़ दीप ज़ले
आईं दिवाली
घरघर मे नाच रही हैं खुशहाली।
दूर हुएं अन्धियारे, लगे उजलें पहर
जग़मगा उठे है हर गाव, हर शहर
धरतीं आसमान पर छाईं,
खुशियो क़ी लाली।
दीप धरें बालक़-बाला मुडेरो पर
रग रगोली सें सजाए है कैंसे घर
वन्दनवार लग़ाएं द्वार सजाएं
लगाएं झूमर मोली।
चुन्नू-मोनी फोड़ रहें है पटाखें
रामूश्यामू भी क़र रहें है धमाकें,
खुशियो सें भर ली, पटाखो कीं झोलीं।
भेदभाव भुलाक़र, गलें मिल रहें है
गीत खुशीं के ग़ाए, कैंसे झूम रहें है
मन मे स्नेंह भाव, बोलें मीठी बोलीं।
– अखिलेश जोशी
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हमें उम्मीद है कि आपको यह Poem on Diwali in Hindi पसंद आई होगी। आपको यह हिंदी कविता कैसी लगी हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं। आप अपने रिश्तेदारों और दोस्तों को कविता के जरिए दिवाली की शुभकामनाएं जरूर भेजें। आप सब को दिवाली की हार्दिक शुभकामनाएं।
धन्यवाद।
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